पुरानी पेंशन बहाली की मांग तेज, शिक्षकों व कर्मचारियों ने सांसद को सौंपा ज्ञापन
लखनऊ: नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (NMOPS) और अटेवा के आह्वान पर शिक्षकों और कर्मचारियों ने रविवार को मोहनलालगंज के सांसद आरके चौधरी से मुलाकात कर पुरानी पेंशन बहाली और निजीकरण समाप्त करने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमंडल ने सांसद से आग्रह किया कि वे इस गंभीर मुद्दे को संसद में उठाएं ताकि कर्मचारियों को उनका हक मिल सके।
नई पेंशन व्यवस्था को बताया शोषणकारी
अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि पुरानी पेंशन व्यवस्था को खत्म कर नई पेंशन प्रणाली (NPS) लागू करना कर्मचारियों के हितों के खिलाफ है। उन्होंने इसे शोषणकारी करार देते हुए कहा कि यह योजना सेवानिवृत्त कर्मियों को आर्थिक असुरक्षा की ओर धकेल रही है। इसके कारण शिक्षकों और सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।
सांसद से की संसद में मुद्दा उठाने की अपील
प्रतिनिधिमंडल ने सांसद आरके चौधरी से अनुरोध किया कि वे इस मांग को संसद में प्रभावी तरीके से उठाएं ताकि सरकार पुरानी पेंशन बहाली पर विचार करे। कर्मचारियों ने कहा कि पुरानी पेंशन, सरकारी कर्मचारियों के लिए जीवन-मरण का सवाल बन चुकी है।
चिकित्सा स्वास्थ्य महासंघ के महासचिव अशोक कुमार ने कहा कि बुढ़ापे में आर्थिक सुरक्षा के लिए पुरानी पेंशन बेहद जरूरी है। इसके अभाव में लाखों सरकारी कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं।
ज्ञापन सौंपने वालों में कई संगठन शामिल
ज्ञापन देने वालों में विभिन्न कर्मचारी संगठनों के प्रमुख पदाधिकारी शामिल रहे, जिनमें प्रमुख रूप से –
- आउटसोर्स संविदा कर्मचारी संघ के महामंत्री सच्चिदानंद मिश्रा
- प्रदेश अध्यक्ष लेखपाल संघ राम मूर्ति यादव
- पीजीआई नर्सिंग संघ की अध्यक्ष लता सचान
- लविवि संबद्ध कॉलेज शिक्षक संगठन की महामंत्री अंशु केडिया
- शिक्षक-शिक्षामित्र अनुदेशक कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के प्रतिनिधि हरिशंकर राठौर और राजेश कुमार
सभी संगठनों ने एक स्वर में सरकार से मांग की कि जल्द से जल्द पुरानी पेंशन बहाल की जाए और सरकारी विभागों में बढ़ते निजीकरण को रोका जाए।
पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन को मिलेगी और मजबूती
यह आंदोलन अब और तेज होने की संभावना है। कर्मचारी संगठन लगातार सरकार से अपनी मांगें पूरी करने के लिए आंदोलन की रणनीति बना रहे हैं। यदि जल्द कोई समाधान नहीं निकला, तो आने वाले दिनों में बड़े विरोध प्रदर्शन देखने को मिल सकते हैं।
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