मोबाइल से चुप हो रहे बच्चे, पर माता-पिता से हो रहे दूर
कानपुर: बच्चों को चुप कराने और उनकी जिद पूरी करने के लिए माता-पिता अक्सर मोबाइल थमा देते हैं, लेकिन यह आदत बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है।

मोबाइल की लत से बढ़ रही परेशानियां
बच्चों में स्क्रीन एडिक्शन तेजी से बढ़ रहा है, जिससे उनका भाषाई विकास और फूड हैबिट्स भी प्रभावित हो रहे हैं। माता-पिता और बच्चों के बीच भावनात्मक दूरी बढ़ रही है।
कुछ मामलों में, बच्चों में वर्चुअल ऑटिज्म जैसी समस्याएं भी देखी गई हैं, जिससे उनका सामाजिक और मानसिक विकास बाधित हो रहा है।
मोबाइल के कारण बच्चों में आ रहीं ये दिक्कतें
- बच्चों के भाषाई विकास में रुकावट हो सकती है।
- बच्चे अलग-अलग खाने की पहचान और स्वाद नहीं कर पाते।
- मोबाइल में रंग-बिरंगे फास्ट फूड देखकर अस्वस्थ खान-पान की आदतें विकसित हो सकती हैं।
- नींद की कमी, चिड़चिड़ापन और एकाग्रता में कमी आ सकती है।
- आंखों की रोशनी पर बुरा असर पड़ सकता है।
- माता-पिता से भावनात्मक जुड़ाव कम हो सकता है।
बचाव के तरीके
- 2 साल की उम्र तक बच्चों को बिल्कुल भी मोबाइल न दें।
- 2 साल के बाद बच्चों को केवल 1 घंटे तक ही स्क्रीन देखने दें।
- बच्चों को खिलौनों, किताबों और खेल के माध्यम से व्यस्त रखें।
- बच्चों को खाने के दौरान मोबाइल से दूर रखें और खुद भी स्क्रीन न देखें।
- बच्चों के साथ खेलें, बातचीत करें और कहानियां सुनाएं, ताकि उनका मानसिक विकास सही हो।

निष्कर्ष
मोबाइल एक सुविधा है, लेकिन इसका जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल बच्चों के भविष्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को संवाद, खेल और किताबों के जरिए व्यस्त रखें, ताकि उनका संपूर्ण विकास हो सके।
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बच्चों को डिजिटल की जगह असली दुनिया से जोड़ें!