शिक्षकों की पदोन्नति पर सवाल: समय की कमी से सेवानिवृत्त होने से पहले नहीं संभाल सके कार्यभार
माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से 383 शिक्षकों की पदोन्नति का आदेश जारी किया गया, लेकिन 32 शिक्षक ऐसे हैं, जो कार्यभार ग्रहण करने से पहले ही सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इसका कारण तैनाती आदेश में देरी और कार्यभार ग्रहण करने के लिए पर्याप्त समय न मिलना है।
🏫 समय की कमी बनी सबसे बड़ी समस्या
शिक्षकों को 28 मार्च को नए स्कूलों में पदस्थापना का आदेश मिला, लेकिन कार्यभार ग्रहण करने के लिए केवल 29 और 30 मार्च (शनिवार) का ही समय मिला। चूंकि 31 मार्च को उनकी सेवानिवृत्ति थी, इसलिए जो शिक्षक दूसरे जिलों में तैनात हुए, वे समय पर कार्यभार ग्रहण नहीं कर सके।
🔹 केस 1: डॉ. सुमित्रा शर्मा
➡ स्कूल: राजकीय बालिका इंटर कॉलेज, सिंहपुर कछार, कानपुर नगर
➡ नवीन तैनाती: राजकीय हाईस्कूल, मुड़ियान बुजुर्ग, कन्नौज (हेडमास्टर)
➡ समस्या: आदेश देर से मिलने के कारण कार्यभार ग्रहण नहीं कर सकीं
🔹 केस 2: डॉ. लक्ष्मी पंत
➡ स्कूल: राजकीय बालिका इंटर कॉलेज, आगरा
➡ नवीन तैनाती: राजकीय हाईस्कूल, तेलियर, लखीमपुर खीरी (375 किमी दूर)
➡ समस्या: रविवार और सोमवार को अवकाश होने के कारण कार्यभार नहीं संभाल सकीं
⚠️ शिक्षकों को मिलेगा वेतनवृद्धि (इंक्रीमेंट) का नुकसान
चूंकि ये शिक्षक 31 मार्च को कार्यभार ग्रहण नहीं कर सके, इसलिए उन्हें नए पद का वेतन लाभ और एक इंक्रीमेंट नहीं मिलेगा। अब इंक्रीमेंट पाने के लिए उन्हें लंबी प्रशासनिक प्रक्रिया से गुजरना होगा, या फिर वे कोर्ट का रुख कर सकते हैं।
📢 शिक्षक संघ की प्रतिक्रिया
राजकीय शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश के महामंत्री डॉ. रवि भूषण ने इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा:
“विभाग को पदोन्नति प्रक्रिया प्रत्येक वर्ष सत्र की शुरुआत में पूरी कर देनी चाहिए, ताकि शिक्षक अपनी सेवा में नए पद का लाभ उठा सकें। अंतिम दिनों में तैनाती आदेश जारी करने से कई शिक्षक-शिक्षिकाएं आर्थिक और मानसिक नुकसान झेलते हैं।”
📜 निष्कर्ष
➡ शिक्षकों को पदोन्नति तो मिली, लेकिन समय पर आदेश जारी न होने से वे इसका लाभ नहीं उठा सके।
➡ इससे उनका एक इंक्रीमेंट रुक गया, जिससे भविष्य में उनके पेंशन और वेतन पर असर पड़ेगा।
➡ शिक्षकों ने इस मुद्दे पर कोर्ट जाने की संभावना जताई है।
➡ शिक्षा विभाग को भविष्य में इस तरह की समस्याओं से बचने के लिए समय से आदेश जारी करने की जरूरत है।
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