परीक्षा देने से रोका, छात्रा ने की आत्महत्या – स्कूल प्रशासन पर केस दर्ज
फीस न भरने के कारण परीक्षा से वंचित, अपमानित होकर उठाया खौफनाक कदम
📍 स्थान: प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां फीस बकाया होने के कारण परीक्षा से रोकी गई नौवीं कक्षा की छात्रा ने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना के बाद क्षेत्र में आक्रोश फैल गया है। पुलिस ने प्रबंधक, प्रधानाचार्य समेत पांच लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है।
📌 क्या है पूरा मामला?
मानधाता थाना क्षेत्र के पितईपुर गांव निवासी कमलेश प्रजापति की बेटी रिया प्रजापति (16) गांव के ही कमला शरण यादव इंटर कॉलेज में कक्षा नौ की छात्रा थी। इन दिनों स्कूल में गृह परीक्षा चल रही थी।
शनिवार सुबह रिया परीक्षा देने के लिए स्कूल पहुंची, लेकिन आठ सौ रुपये की फीस बकाया होने के कारण उसे परीक्षा देने से मना कर दिया गया। आरोप है कि स्कूल प्रशासन ने उसे सभी के सामने अपमानित किया, जिससे वह गहरे सदमे में चली गई।
🏠 घर लौटी और लगाया फंदा
अपमानित होकर रिया घर लौटी और अपने कमरे का दरवाजा भीतर से बंद कर लिया। मां पूनम प्रजापति उस समय खेत में काम कर रही थीं। जब काफी देर तक दरवाजा नहीं खुला, तो पड़ोसियों की मदद से दरवाजा तोड़ा गया, जहां रिया को फंदे से झूलता पाया गया।
परिजनों का आरोप है कि स्कूल प्रशासन की बेरुखी और मानसिक उत्पीड़न के कारण रिया ने यह खौफनाक कदम उठाया।
👮 पुलिस ने दर्ज किया केस, प्रिंसिपल हिरासत में
घटना की सूचना मिलते ही सीओ रानीगंज विनय प्रभाकर साहनी मौके पर पहुंचे। छानबीन के बाद पुलिस ने स्कूल के प्रबंधक संतोष कुमार यादव, प्रधानाचार्य राजकुमार यादव, बड़े बाबू दीपक सरोज, एक शिक्षक और चपरासी धनीराम के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया।
देर शाम पुलिस ने स्कूल के प्रिंसिपल को हिरासत में ले लिया।
🗣 प्रशासन का बयान
पुलिस प्रशासन का कहना है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। एएसपी (पूर्वी) दुर्गेश सिंह ने कहा,
“छात्रा को परीक्षा देने से रोकने का मामला सामने आया है। परिजनों की तहरीर पर केस दर्ज कर लिया गया है और जांच जारी है। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।”
⚖ क्या यह शिक्षा व्यवस्था पर सवाल नहीं?
इस घटना ने शिक्षा प्रणाली और स्कूल प्रशासन के मानवीय मूल्यों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या फीस के कारण किसी बच्चे को परीक्षा देने से रोकना न्यायसंगत है? शिक्षा को मौलिक अधिकार कहा जाता है, लेकिन इस तरह की घटनाएं दर्शाती हैं कि शिक्षण संस्थानों का व्यावसायीकरण कितना खतरनाक हो चुका है।
💡 आपका क्या कहना है?
क्या फीस न भरने की सजा इतनी बड़ी हो सकती है? शिक्षा व्यवस्था में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए? अपनी राय हमें कमेंट में बताएं!
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