परिषदीय विद्यालयों में ‘टाइम एंड मोशन’ व्यवस्था समाप्त करने की मांग
उत्तर प्रदेश | उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल (पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ ने राज्य सरकार से मांग की है कि कोरोना काल में लागू की गई ‘टाइम एंड मोशन’ व्यवस्था को समाप्त किया जाए। संघ का कहना है कि अन्य शैक्षणिक संस्थानों ने अपने संचालन समय को पहले जैसा कर लिया है, लेकिन परिषदीय विद्यालयों में अभी भी पुरानी व्यवस्था जारी है।
📌 शिक्षकों की प्रमुख मांगें
1️⃣ टाइम एंड मोशन व्यवस्था समाप्त की जाए
संघ के प्रांतीय महामंत्री अरुणेंद्र कुमार वर्मा ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान यह व्यवस्था लागू की गई थी, लेकिन अब इसकी कोई आवश्यकता नहीं है।
✔️ पहले विद्यालयों का समय सुबह 8:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक था।
✔️ टाइम एंड मोशन व्यवस्था के तहत इसे सुबह 8:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक कर दिया गया।
✔️ शिक्षकों को 30 मिनट अतिरिक्त रुककर अगले दिन की शिक्षण योजना तैयार करनी होती है, जिसे अव्यावहारिक और असुरक्षित बताया गया है।
2️⃣ शिक्षकों की सुरक्षा और सुविधा का ध्यान रखा जाए
शिक्षकों का कहना है कि शिक्षण योजना की तैयारी वे घर से भी कर सकते हैं। स्कूल में अतिरिक्त समय रुकना उनके लिए असुविधाजनक है और यह सुरक्षा की दृष्टि से भी उचित नहीं है।
📌 टाइम एंड मोशन व्यवस्था: क्यों लागू की गई थी?
✔️ कोरोना काल में स्कूल बंद होने के कारण छात्रों की शिक्षा प्रभावित हुई थी।
✔️ शिक्षण की गुणवत्ता को सुधारने और सीखने की कमी को पूरा करने के लिए यह व्यवस्था लागू की गई थी।
✔️ स्कूल समय बढ़ाकर शिक्षण अवधि में वृद्धि की गई थी।
हालांकि, अब जब सभी शैक्षणिक संस्थानों ने पुराना समय लागू कर दिया है, तो शिक्षकों की मांग है कि परिषदीय विद्यालयों में भी पुरानी समय-सारणी बहाल की जाए।
📌 शिक्षकों ने प्रमुख सचिव को लिखा पत्र
शिक्षक संघ ने इस संबंध में प्रमुख सचिव, बेसिक शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर अपनी मांगें रखी हैं। उन्होंने जल्द से जल्द इस व्यवस्था को समाप्त करने की अपील की है।
संघ की मुख्य दलीलें:
📌 अन्य सभी शैक्षणिक संस्थानों ने समय पूर्ववत कर लिया है।
📌 शिक्षकों के लिए अतिरिक्त समय रुकना अव्यावहारिक और असुरक्षित है।
📌 शिक्षण योजना की तैयारी घर से भी की जा सकती है।
📌 क्या कहते हैं शिक्षक?
➡️ “हम विद्यालय में पहले से अधिक समय दे रहे हैं, लेकिन इससे पढ़ाई की गुणवत्ता में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया। अतिरिक्त समय रुकना न तो सुविधाजनक है और न ही सुरक्षित।”
— एक शिक्षक, उत्तर प्रदेश
➡️ “हम सरकार से निवेदन करते हैं कि टाइम एंड मोशन व्यवस्था को समाप्त कर विद्यालयों का संचालन पहले जैसा किया जाए।”
— शिक्षक संघ के प्रतिनिधि
📌 निष्कर्ष
✅ कोरोना महामारी के दौरान लागू की गई ‘टाइम एंड मोशन’ व्यवस्था अब अपना उद्देश्य पूरा कर चुकी है।
✅ शिक्षकों की मांगें जायज हैं और उन्हें ध्यान में रखते हुए सरकार को समय-सारणी में बदलाव करना चाहिए।
✅ शिक्षकों की सुरक्षा, सुविधा और शिक्षण की गुणवत्ता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
📢 आप इस फैसले पर क्या सोचते हैं? क्या शिक्षकों की मांग को मान लेना चाहिए? हमें कमेंट में बताएं!
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