बेसिक शिक्षकों के तबादलों में देरी: प्रक्रिया शुरू होने का इंतजार कब तक?

बेसिक शिक्षकों के तबादलों में देरी: प्रक्रिया शुरू होने का इंतजार कब तक?

उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षकों के लिए अंतरजनपदीय (जिले के बाहर) और अंतःजनपदीय (जिले के अंदर) तबादलों की नीति दिसंबर 2024 और जनवरी 2025 में जारी हो चुकी है। लेकिन इसके बावजूद, शिक्षकों को तबादला प्रक्रिया शुरू होने का अब भी इंतजार है।

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शासनादेश का पालन नहीं हो रहा?

शासनादेश के मुताबिक, बेसिक शिक्षा विभाग को साल में दो बार (गर्मियों और सर्दियों की छुट्टियों में) तबादले करने चाहिए। लेकिन हकीकत यह है कि डेढ़ साल में एक बार ही तबादले हो पाते हैं। इसकी वजह विभागीय लेटलतीफी और अनावश्यक देरी है।

“शासनादेश स्पष्ट है कि साल में दो बार तबादले होंगे और प्रक्रिया सालभर चल सकती है। फिर भी शिक्षकों के तबादले लटकाए जाते हैं, जो गलत है।”
निर्भय सिंह, अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक संघ लखनऊ

पहले भी हुई थी देरी

पिछली बार भी तबादला प्रक्रिया में डेढ़ साल का समय लग गया था। पहले सर्दियों की छुट्टियों में नीति जारी की गई, फिर गर्मियों और अगली सर्दियों की छुट्टियां बीत गईं, लेकिन तबादले नहीं हुए। इसके बाद अगली गर्मियों की छुट्टियों में ही तबादला आदेश जारी किए गए

शिक्षकों की मांग: प्रक्रिया जल्द शुरू हो

शिक्षकों का कहना है कि अगर दिसंबर-जनवरी में नीति जारी हो चुकी है, तो तबादले की प्रक्रिया तुरंत शुरू होनी चाहिए। ताकि गर्मियों की छुट्टियों तक इसे पूरा किया जा सके। लेकिन अगर अब देरी होती है, तो यह प्रक्रिया फिर अगली सर्दियों तक टल जाएगी

“शिक्षकों से हर काम समय पर करवाया जाता है, लेकिन उनके हक के फैसले बार-बार टाल दिए जाते हैं। अगर तबादले की स्पष्ट नीति है, तो उसे समय पर लागू किया जाना चाहिए।”
विनय कुमार सिंह, अध्यक्ष, प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन

बेसिक शिक्षा विभाग का जवाब

बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेंद्र तिवारी ने कहा कि तबादले की प्रक्रिया को लेकर उच्च स्तर पर विचार-विमर्श किया जा रहा है और इसे पारदर्शी तरीके से जल्द शुरू किया जाएगा। लेकिन शिक्षकों को इस “जल्द” का इंतजार पिछले कई महीनों से है

निष्कर्ष: क्या शिक्षकों को मिलेगा न्याय?

शिक्षकों की मांग न्यायोचित और स्पष्ट है—अगर शासनादेश कहता है कि साल में दो बार तबादले होंगे, तो प्रक्रिया को समय पर पूरा किया जाए। देरी से न केवल शिक्षकों को असुविधा होती है, बल्कि उनके पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन पर भी असर पड़ता है

अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या सरकार और शिक्षा विभाग शिक्षकों की इस जायज मांग को जल्द पूरा करेगा या फिर यह मामला एक बार फिर अगली छुट्टियों तक टल जाएगा?

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