इस रिपोर्ट से साफ़ पता चलता है कि दुनिया में अरबपतियों के बीच भी संपत्ति का बड़ा अंतर है और तकनीकी क्षेत्र में उछाल के कारण कुछ लोगों की संपत्ति तेजी से बढ़ी है।
मुख्य बिंदु:
✅ मुकेश अंबानी (17वें) और गौतम अडानी (21वें) भारत से सुपरबिलियनेयर सूची में शामिल।
✅ एलन मस्क दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति (419.4 अरब डॉलर)।
✅ सुपरबिलियनेयर = 50 अरब डॉलर+ संपत्ति वाले व्यक्ति।
✅ टेक्नोलॉजी सेक्टर से सबसे ज्यादा सुपरबिलियनेयर उभरे।
✅ महज 3 महिलाएँ ही इस सूची में शामिल।
✅ 24 में से सिर्फ़ 7 सुपरबिलियनेयर अमेरिका के बाहर।
तकनीक का योगदान:
इस सूची में टेक कंपनियों के मालिकों का दबदबा है—
- एलन मस्क (Tesla, SpaceX)
- जेफ़ बेजोस (Amazon)
- लैरी एलिसन (Oracle)
- मार्क जुकरबर्ग (Meta)
- बर्नार्ड अर्नाल्ट (Louis Vuitton, फैशन क्षेत्र में)
तकनीक के कारण व्यवसायों का स्केल बहुत तेजी से बढ़ा है, जिससे संपत्ति भी रिकॉर्ड तोड़ गति से बढ़ी।
भारत के अरबपति:
- मुकेश अंबानी (190.6 अरब डॉलर) – रिलायंस इंडस्ट्रीज
- गौतम अडानी (60.6 अरब डॉलर) – अडानी ग्रुप
इन दोनों ने ऊर्जा, दूरसंचार, बुनियादी ढांचे और रिटेल में निवेश कर अपनी संपत्ति बनाई।
क्या यह अमीरी-गरीबी का अंतर बढ़ाएगा?
- शोध कहता है कि अरबपतियों के बीच भी अब बड़े स्तर पर आर्थिक असमानता है।
- अमीरों का पैसा और तेजी से बढ़ रहा है, खासकर टेक्नोलॉजी सेक्टर में।
- 50 अरब डॉलर से ज्यादा की संपत्ति वाले अरबपतियों का हिस्सा कुल अरबपतियों की संपत्ति का 16% है।
क्या भारत के और अरबपति इस सूची में आएँगे?
- भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और स्टार्टअप इकोसिस्टम को देखते हुए आने वाले वर्षों में और भारतीय सुपरबिलियनेयर इस सूची में शामिल हो सकते हैं।
- रिलायंस और अडानी ग्रुप जैसे बिजनेस समूह नई तकनीकों, हरित ऊर्जा और डिजिटल अर्थव्यवस्था में निवेश कर रहे हैं, जो उनकी संपत्ति को और बढ़ा सकता है।
आपका क्या विचार है?
क्या आपको लगता है कि यह आर्थिक असमानता का संकेत है या फिर तकनीकी क्रांति का नतीजा?