यूपी में एडेड स्कूलों के चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की शैक्षिक योग्यता हाईस्कूल होगी 📢
📅 लखनऊ | **उत्तर प्रदेश सरकार ने एडेड माध्यमिक स्कूलों में चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की भर्ती के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट से घटाकर हाईस्कूल कर दी है।** 🏫📜
📌 विधान परिषद में उठा सवाल
सोमवार को विधान परिषद में **निर्दलीय सदस्य राज बहादुर सिंह चंदेल और शिक्षक दल के नेता ध्रुव कुमार त्रिपाठी** ने यह मुद्दा उठाया।
उन्होंने कहा कि **एडेड माध्यमिक स्कूलों में चतुर्थ श्रेणी पदों के लिए इंटरमीडिएट योग्यता अनावश्यक रूप से उच्च है**, क्योंकि इनमें **सफाई कर्मी जैसे पद भी शामिल हैं**। 🧹
👉 **अभी तक इन पदों पर भर्ती की शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट थी, जिसे अब हाईस्कूल कर दिया गया है।**
👉 **कई अन्य विभागों में चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की न्यूनतम योग्यता हाईस्कूल या उससे कम होती है।**
👉 **चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को पदोन्नति का लाभ नहीं मिलता, तो उच्च योग्यता की शर्त क्यों रखी गई थी?**
🏛️ सरकार का जवाब
माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री **गुलाब देवी** ने बताया कि **पहले साक्षरता दर कम थी, लेकिन अब शिक्षा का स्तर बढ़ा है**।
इसलिए सरकार **इंटरमीडिएट से योग्यता घटाकर हाईस्कूल करने का निर्णय ले रही है**। 🎓
💬 मंत्री गुलाब देवी का बयान:
“हमने इस विषय पर विचार किया है। चतुर्थ श्रेणी में कई तकनीकी कार्य भी होते हैं, लेकिन सफाई कर्मियों के लिए इंटरमीडिएट की योग्यता आवश्यक नहीं है। इसलिए अब हाईस्कूल को न्यूनतम योग्यता माना जाएगा।”
📊 क्या होगा इसका प्रभाव?
👉 **अब अधिक उम्मीदवार इन पदों के लिए पात्र होंगे।**
👉 **कम पढ़े-लिखे युवाओं के लिए भी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।**
👉 **भर्ती प्रक्रिया में अधिक उम्मीदवारों की भागीदारी होगी।**
👉 **अनावश्यक रूप से उच्च योग्यता के कारण होने वाली धांधली पर रोक लगेगी।**
📢 शिक्षा नीति में बदलाव का संकेत?
👉 क्या सरकार अन्य क्षेत्रों में भी **शैक्षिक योग्यता को यथार्थवादी बनाएगी?**
👉 क्या इससे सरकारी नौकरियों में भर्ती प्रक्रिया **सरल और निष्पक्ष होगी?**
👉 क्या इससे **निम्न वर्ग के युवाओं को सरकारी नौकरी पाने में अधिक अवसर मिलेंगे?**
**शिक्षा नीति में यह बदलाव एक सकारात्मक पहल है, जिससे गरीब और कम पढ़े-लिखे युवाओं को रोजगार का अवसर मिलेगा।** 🏫