हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: अस्थायी कर्मचारियों को भी मिलेगी पेंशन
हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: अस्थायी कर्मचारियों को भी मिलेगी पेंशन 🎉
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के पांच पूर्व कर्मचारियों को पेंशन देने का महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि दशकों तक सेवा देने वाले अस्थायी कर्मचारियों को केवल उनकी स्थिति के कारण पेंशन से वंचित नहीं किया जा सकता।
🔎 क्या है मामला?
याचिकाकर्ता विरमा देवी, धन्नो, नारायणी देवी, सिलमान और शेर वर्ष 1980 से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी (वेलदार/दिहाड़ी मजदूर) के रूप में कार्यरत थे। इन सभी ने 2010 से 2014 के बीच सेवानिवृत्त होने से पहले दो दशकों से अधिक समय तक सेवा दी।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इन्हें संविदा कर्मचारी मानते हुए पेंशन देने से इनकार कर दिया था। अदालत ने इस फैसले को खारिज करते हुए पेंशन लाभ देने का निर्देश दिया।
⚖️ न्यायालय का निर्णय
न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर और अजय दिगपॉल की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि:
- याचिकाकर्ताओं को नियमित कर्मचारियों की तरह पेंशन का लाभ मिलना चाहिए।
- अधिकारियों को आठ सप्ताह के भीतर बकाया राशि जारी करने का निर्देश दिया।
- देरी की स्थिति में 12% प्रति वर्ष की दर से ब्याज लगाया जाएगा।
- अस्थायी अनुबंधों का दुरुपयोग कर कर्मचारियों को उनके उचित लाभों से वंचित किया जा रहा है।
📢 सरकार और प्रशासन के लिए संदेश
अदालत ने सरकारी विभागों में अस्थायी रोजगार की प्रथा की आलोचना करते हुए कहा कि इसे केवल अल्पकालिक और मौसमी जरूरतों के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इस फैसले से लाखों संविदा कर्मचारियों के लिए एक नई उम्मीद जगी है।
🔚 निष्कर्ष
यह फैसला न केवल इन कर्मचारियों के लिए राहत भरा है, बल्कि यह सरकारी विभागों को भी कर्मचारियों के अधिकारों का सम्मान करने की सीख देता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अन्य सरकारी विभाग इस फैसले से क्या सीख लेते हैं।
आपका क्या विचार है? क्या सरकार को अस्थायी कर्मचारियों को भी नियमित कर्मचारियों के समान अधिकार देने चाहिए? नीचे कमेंट करें! 💬