📢 महाकुंभ में जल गुणवत्ता पर संकट! सीपीसीबी की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
🚨 **प्रयागराज में जल की गुणवत्ता स्नान योग्य नहीं!**
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (**CPCB**) की **3 फरवरी 2025 की रिपोर्ट** के अनुसार, **प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान विभिन्न स्थानों पर जल की गुणवत्ता स्नान के लिए उपयुक्त नहीं है**। रिपोर्ट में **फीकल कोलीफॉर्म (Fecal Coliform) का स्तर तय मानकों से अधिक** पाया गया है, जो **सीवेज प्रदूषण** का स्पष्ट संकेतक है।
💦 **क्या है फीकल कोलीफॉर्म और क्यों है खतरनाक?**
फीकल कोलीफॉर्म **सीवेज से उत्पन्न बैक्टीरिया** होते हैं, जो **स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा** पैदा कर सकते हैं। सीपीसीबी के अनुसार, **स्वच्छ स्नान के लिए इसकी अधिकतम स्वीकार्य सीमा 2,500 यूनिट प्रति 100 मिलीलीटर** होनी चाहिए, लेकिन महाकुंभ के दौरान यह **इस सीमा से कई गुना अधिक** पाई गई।
📌 **सीपीसीबी की रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष**
- ⚠️ **गंगा और यमुना नदी में जल की गुणवत्ता स्नान योग्य नहीं।**
- ⚠️ **सीवेज प्रवाह के कारण जल में बैक्टीरिया का स्तर अत्यधिक बढ़ा।**
- ⚠️ **उप्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) ने एनजीटी के निर्देशों का पालन नहीं किया।**
⚖️ **एनजीटी ने सरकार से मांगा जवाब**
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (**NGT**) की एक विशेष बेंच **गंगा और यमुना नदी में सीवेज प्रवाह को रोकने** से संबंधित सुनवाई कर रही है। **सीपीसीबी की रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए, एनजीटी ने उत्तर प्रदेश सरकार को इस पर तुरंत जवाब देने का निर्देश दिया**।
📜 **एनजीटी के निर्देश:**
- ✅ उत्तर प्रदेश सरकार **एक दिन के भीतर रिपोर्ट की जांच कर जवाब प्रस्तुत करे।**
- ✅ **प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) को निर्देश दिए कि वे गंगा सफाई से जुड़े अपने कदमों की विस्तृत जानकारी दें।**
- ✅ **स्नान योग्य जल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए ठोस उपाय किए जाएं।**
🔍 **महाकुंभ में बढ़ते प्रदूषण का कारण क्या है?**
**महाकुंभ में लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए आते हैं**। अधिक संख्या में लोगों के स्नान करने से **जल में फीकल कोलीफॉर्म का स्तर बढ़ जाता है**। इसके अलावा, **अपर्याप्त सीवेज ट्रीटमेंट और अपशिष्ट जल का नदी में प्रवाह** भी प्रदूषण का मुख्य कारण बनता है।
🌿 **क्या किए जा सकते हैं समाधान?**
विशेषज्ञों का मानना है कि **महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों के दौरान विशेष प्रदूषण नियंत्रण उपाय अपनाने की आवश्यकता है**। इनमें शामिल हो सकते हैं:
- 🌊 **सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की संख्या बढ़ाई जाए।**
- 🚯 **श्रद्धालुओं को गंगा किनारे अपशिष्ट प्रबंधन के लिए जागरूक किया जाए।**
- 🔬 **जल गुणवत्ता की लगातार निगरानी की जाए।**
🔚 **निष्कर्ष**
महाकुंभ 2025 के दौरान प्रयागराज में **जल की गुणवत्ता पर उठे सवालों ने सरकार और प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं**। सीपीसीबी की रिपोर्ट ने **गंगा और यमुना नदी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर खतरे की घंटी बजा दी है**। अब देखना होगा कि **एनजीटी के निर्देशों के बाद सरकार क्या ठोस कदम उठाती है**।
📢 क्या आपको लगता है कि सरकार गंगा की स्वच्छता बनाए रखने में सफल रही है? अपनी राय कमेंट में साझा करें! ✍️