महाकुंभ हादसा: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार से मांगी रिपोर्ट









महाकुंभ हादसा: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार से मांगी रिपोर्ट

महाकुंभ हादसा: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार से मांगी रिपोर्ट

🚨 इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महाकुंभ 2025 में मौनी अमावस्या पर हुए हादसों को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने पूछा कि न्यायिक आयोग तो केवल घटना के कारणों और बचाव के सुझाव देगा, लेकिन हादसे में हुई मौतों और लापता लोगों का सही पता कौन लगाएगा? 🏛️

जनहित याचिका पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी ⚖️

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव सुरेश चंद्र पांडेय द्वारा दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसालीन्यायमूर्ति शैलेंद्र क्षितिज की खंडपीठ ने इस मामले पर 24 फरवरी तक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा।

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तीन स्थानों पर हुई भगदड़ 😨

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने मीडिया रिपोर्ट्स और हादसों के वायरल वीडियो अदालत में प्रस्तुत किए। उन्होंने दावा किया कि मौनी अमावस्या के दिन तीन अलग-अलग स्थानों पर भगदड़ मची, लेकिन सरकार ने मृतकों की संख्या को गलत तरीके से प्रस्तुत किया।

खोया-पाया केंद्र में अव्यवस्था 🏕️

याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि लापता लोगों के परिजन जब खोया-पाया केंद्र में सूचना देने पहुंचे, तो उनसे आधार कार्ड मांगा गया, जबकि आधार कार्ड लापता व्यक्तियों के पास था। कुछ रिपोर्ट्स में मृतकों की संख्या 100 से अधिक बताई गई है।

सरकार का जवाब 🏛️

सरकार की ओर से पेश अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने याचिका का विरोध किया और कहा कि सरकार ने पहले ही न्यायिक आयोग का गठन कर दिया है, जो एक महीने में जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। आयोग यह तय करेगा कि घटना के कारण क्या थे और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए।

कोर्ट का असंतोष 😡

हाईकोर्ट ने सरकार के इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि आयोग केवल कारणों और बचाव के सुझाव देगा, लेकिन मृतकों और लापता लोगों का सही डेटा जुटाने की कोई ठोस प्रक्रिया स्पष्ट नहीं है। इसलिए सरकार को 24 फरवरी तक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया है।

वीडियो फुटेज को सुरक्षित रखने का निर्देश 🎥

कोर्ट ने याची द्वारा प्रस्तुत वीडियो फुटेज को सुरक्षित रखने का भी आदेश दिया है ताकि इसकी जांच में कोई बाधा न आए।

निष्कर्ष 🧐

🚨 महाकुंभ हादसे में हुई मौतों और लापता लोगों की सटीक जानकारी जुटाने में सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। अब सभी की निगाहें 24 फरवरी को पेश की जाने वाली रिपोर्ट पर टिकी हैं। क्या सरकार इस संवेदनशील मुद्दे पर संतोषजनक जवाब दे पाएगी? 🤔


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