पढ़ाई न करने पर टोका तो बेटे ने पिता को जिंदा जलाया | चौंकाने वाली घटना





पढ़ाई न करने पर टोका तो बेटे ने पिता को जिंदा जलाया | चौंकाने वाली घटना

पढ़ाई न करने पर टोका तो बेटे ने पिता को जिंदा जलाया

स्थान: फरीदाबाद, हरियाणा | तारीख: 19 फरवरी 2025

दिल्ली से सटे फरीदाबाद में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक 14 वर्षीय किशोर ने अपने ही पिता को जिंदा जलाकर मौत के घाट उतार दिया। बताया जा रहा है कि पिता ने बेटे को पढ़ाई करने के लिए टोका था और चोरी करने पर डांटा था, जिससे गुस्साए बेटे ने यह खौफनाक कदम उठाया।

WhatsApp Channel Join Now
WhatsApp Group Join Now
Telegram Channel Join Now

कैसे हुई वारदात?

पीड़ित मोहम्मद अलीम (55) उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर का निवासी था और पिछले चार महीनों से फरीदाबाद के अजय नगर पार्ट-2 में अपने 14 वर्षीय बेटे के साथ किराए के मकान में रह रहा था। वह धार्मिक स्थलों के लिए चंदा इकट्ठा करने और मच्छरदानी व अन्य सामान बेचने का काम करता था।

सोमवार रात को अलीम ने अपने बेटे को पढ़ाई न करने के लिए डांटा और चोरी करने पर फटकार लगाई। इससे नाराज होकर बेटे ने देर रात करीब 2 बजे, जब पिता गहरी नींद में थे, उन पर ज्वलनशील पदार्थ छिड़ककर आग लगा दी और कमरे की कुंडी बाहर से बंद कर दी।

पुलिस जांच और कानूनी कार्यवाही

आग लगने के बाद शोर सुनकर पड़ोसियों ने पुलिस को सूचना दी, लेकिन जब तक पुलिस पहुंची, तब तक अलीम की जलकर मौत हो चुकी थी। पुलिस ने किशोर को हिरासत में ले लिया है और उसे न्याय बोर्ड के सामने पेश किया जाएगा।

क्या कहती है समाजिक स्थिति?

यह घटना पारिवारिक रिश्तों में संवाद की कमी और किशोरों के बढ़ते गुस्से की ओर इशारा करती है। कई मनोचिकित्सकों का मानना है कि बच्चों पर अत्यधिक अनुशासन या उन पर जरूरत से ज्यादा दबाव डालने से वे मानसिक तनाव में आ सकते हैं।

समाज के लिए जरूरी संदेश

इस घटना से हमें यह सीख मिलती है कि:

  • माता-पिता और बच्चों के बीच खुलकर संवाद होना जरूरी है।
  • बच्चों की मानसिक स्थिति को समझने के लिए काउंसलिंग और मनोवैज्ञानिक सहायता की आवश्यकता है।
  • बच्चों के गुस्से और तनाव को दूर करने के लिए सकारात्मक माहौल बनाया जाना चाहिए।
  • समाज को किशोरों की मानसिक स्थिति को लेकर जागरूकता फैलाने की जरूरत है।

निष्कर्ष

फरीदाबाद में हुई यह घटना केवल एक पारिवारिक त्रासदी नहीं, बल्कि एक सामाजिक चेतावनी भी है। हमें अपने बच्चों के साथ बेहतर संवाद बनाना होगा, उनकी भावनाओं को समझना होगा और उनके मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना होगा।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top