बीएलओ ड्यूटी से प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी, बच्चों की पढ़ाई पर संकट
उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी देखने को मिल रही है। इसका प्रमुख कारण बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) ड्यूटी में लगे शिक्षक हैं, जो सप्ताह में आधे दिन स्कूलों से गायब रहते हैं। नियमतः शिक्षकों को दो दिन बीएलओ ड्यूटी करने का प्रावधान है, लेकिन वास्तविकता यह है कि हर दूसरे कार्य दिवस पर वे स्कूल से अनुपस्थित हो रहे हैं।
बीएलओ ड्यूटी के कारण पढ़ाई प्रभावित
शिक्षकों की लगातार अनुपस्थिति के कारण छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। वर्तमान में 1619 प्राइमरी स्कूलों में 4900 शिक्षक कार्यरत हैं, लेकिन इनमें से 1200 शिक्षक बीएलओ ड्यूटी में लगे हुए हैं। अब यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए 2422 शिक्षकों को ड्यूटी पर लगाने की योजना है, जिससे स्थिति और खराब हो सकती है।
शिक्षक संघ ने उठाई कार्यमुक्त करने की मांग
प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने इस गंभीर समस्या को लेकर जिलाधिकारी (डीएम) को ज्ञापन सौंपा है। संघ के अध्यक्ष सुधांशु मोहन और मंत्री वीरेन्द्र सिंह ने मांग की है कि बीएलओ ड्यूटी में लगे शिक्षकों को तत्काल कार्यमुक्त किया जाए, ताकि वे स्कूलों में नियमित रूप से पढ़ा सकें।
निपुण आकलन पर असर
संघ के मंत्री वीरेन्द्र सिंह का कहना है कि प्राइमरी स्कूलों के छात्रों का निपुण आकलन डीएलएड प्रशिक्षुओं द्वारा किया जाना है, लेकिन शिक्षकों की अनुपस्थिति से इसमें बड़ी परेशानी आएगी।
दो वर्षों से शिक्षक बीएलओ ड्यूटी में व्यस्त
करीब दो वर्षों से 1200 शिक्षक, शिक्षामित्र और अनुदेशक बीएलओ ड्यूटी में व्यस्त हैं, जिससे स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी बनी हुई है। अब बोर्ड परीक्षा में 2422 शिक्षकों की ड्यूटी लगाने से यह संकट और गहरा जाएगा।
निष्कर्ष
शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी से मुक्त किया जाए, ताकि वे अपनी प्राथमिक जिम्मेदारी—बच्चों को शिक्षित करने—पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
📢 आपका क्या कहना है? क्या शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी से कार्यमुक्त किया जाना चाहिए? अपनी राय कमेंट में बताएं!