वेतन आयोग के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती अदालतें : दिल्ली हाईकोर्ट
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि वेतन आयोग जैसे विशेषज्ञ निकायों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले मामलों में अदालतें हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं। इस महत्वपूर्ण फैसले के तहत वेतन समानता की मांग करने वाली एक याचिका को खारिज कर दिया गया।
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस सी हरि शंकर और अजय दिगपॉल की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता, जो स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में सलाहकार (पोषण) के पद पर कार्यरत था, उसे सलाहकार (आयुर्वेद) और सलाहकार (होम्योपैथी) के समान वेतन नहीं दिया जा सकता।
पदों में अंतर, वेतन में भी अंतर
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह अपेक्षा करना तर्कसंगत नहीं होगा कि सभी कर्मचारियों द्वारा निभाई जाने वाली भूमिकाएँ और जिम्मेदारियाँ समान हों। विभिन्न पदों की कार्यप्रणाली अलग-अलग होती है, इसलिए वेतनमान भी अलग हो सकता है।
याचिका खारिज, क्या है निष्कर्ष?
हाईकोर्ट ने यह निर्णय देते हुए स्पष्ट किया कि वेतन आयोग द्वारा तय किए गए वेतन संरचना में न्यायिक हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। इस प्रकार, वेतन समानता की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया गया।
इस फैसले का प्रभाव
यह फैसला सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश प्रदान करता है कि वे अपनी वेतन संरचना को लेकर वेतन आयोग द्वारा बनाए गए नियमों को चुनौती नहीं दे सकते।