माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद: पुनर्गठन में देरी से कार्य अटके
लखनऊ प्रमुख संवाददाता। माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद (संस्कृत बोर्ड) का पुनर्गठन न होने से प्रदेश में संस्कृत शिक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण कार्य अटके पड़े हैं। बोर्ड का कार्यकाल जुलाई 2024 में समाप्त हो गया था और मुख्यालय में ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण, व्यवसायिक कोर्स, और विद्यालयों की मान्यता से जुड़ी पत्रावलियां धूल फांक रही हैं।
क्या है समस्या का कारण? 🤔
संस्कृत शिक्षा परिषद के 24 सदस्यों में से 11 मनोनीत सदस्यों का कार्यकाल जुलाई 2024 में समाप्त हो गया था। तब से सरकार ने किसी को भी मनोनीत नहीं किया है, जिससे:
- ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण और व्यवसायिक कोर्स की फाइलें लम्बित हो गई हैं।
- विद्यालयों की मान्यता से जुड़ी संस्तुतियां भी रुकी हुई हैं।
- पुनर्गठन की फाइल मुख्यमंत्री सचिवालय में लम्बित है।
प्रभावित कार्य 📚
- निःशुल्क ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत अटकी हुई है।
- नए व्यवसायिक कोर्स शुरू करने की अनुमति लम्बित है।
- विद्यालयों की मान्यताओं से जुड़ी संस्तुतियां धूल फांक रही हैं।
क्या कहते हैं जिम्मेदार? 🗣️
बोर्ड के सचिव शिवलाल का कहना है कि नवम्बर में बैठक आयोजित की गई थी और कार्यकारिणी की वजह से कोई जरूरी कार्य लम्बित न रहे, इसका ध्यान रखा गया था। हालांकि:
- मान्यताओं से जुड़ी कुछ पत्रावलियां अभी भी लम्बित हैं।
- अगली बैठक में इन्हें निस्तारित करने की योजना है।
- संस्कृत बोर्ड परीक्षा 27 फरवरी से 12 मार्च तक आयोजित होगी।
संस्कृत बोर्ड परीक्षा की स्थिति 📅
संस्कृत बोर्ड परीक्षा 27 फरवरी से 12 मार्च तक आयोजित की जाएगी। पिछले वर्ष दिसम्बर में पूर्व मध्यमा द्वितीय से उत्तर मध्यमा द्वितीय परीक्षा के कार्यक्रम भी जारी कर दिए गए थे।
क्या है आगे की राह? 🔍
पुनर्गठन की फाइल मुख्यमंत्री सचिवालय में लम्बित है। नए बोर्ड के गठन के बाद ही लम्बित कार्यों का निस्तारण हो सकेगा।
निष्कर्ष ✍️
माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद का पुनर्गठन न होने से संस्कृत शिक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण कार्य लम्बित हैं। यह सरकार के लिए चुनौती और संस्कृत शिक्षा के प्रचार-प्रसार में बाधा बन रहा है।