सुप्रीम कोर्ट ने रोहिंग्या शरणार्थी बच्चों की शिक्षा पर भेदभाव रोकने का आदेश दिया







🚨 सुप्रीम कोर्ट: रोहिंग्या शरणार्थियों के बच्चों से शिक्षा में नहीं होना चाहिए भेदभाव

⚖️ सुप्रीम कोर्ट: रोहिंग्या शरणार्थियों के बच्चों से शिक्षा में नहीं होना चाहिए भेदभाव

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि रोहिंग्या शरणार्थियों के बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी भी बच्चे के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए, चाहे वह किसी भी पृष्ठभूमि का हो।

📢 क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकारों से रोहिंग्या शरणार्थियों के बच्चों की शिक्षा को लेकर विस्तृत जानकारी मांगी है।

WhatsApp Channel Join Now
WhatsApp Group Join Now
Telegram Channel Join Now

🔍 मामले की पृष्ठभूमि

  • याचिका में आरोप लगाया गया था कि रोहिंग्या शरणार्थी बच्चों को कुछ स्कूलों में दाखिला नहीं दिया जा रहा है।
  • याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि सरकार इन बच्चों के लिए शिक्षा का उचित प्रावधान करे।
  • इस पर कोर्ट ने कहा कि शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है और इस पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए।

📌 शिक्षा के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा को मौलिक अधिकार बताते हुए कहा कि बच्चों को उनकी पृष्ठभूमि के आधार पर शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता। अदालत ने सरकार से यह भी पूछा कि रोहिंग्या शरणार्थियों की स्थिति पर क्या कदम उठाए जा रहे हैं।

🏫 स्कूल निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट का नया निर्देश

इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि देश में नर्सरी और प्राथमिक स्कूल केवल उन्हीं भवनों में संचालित होने चाहिए जो स्थानीय निर्माण उपनियमों के अनुसार बनाए गए हों।

🚧 स्कूल निर्माण से जुड़े मुख्य बिंदु:

  • स्कूलों के भवन निर्माण में सुरक्षा मानकों का पालन किया जाए।
  • ऐसे भवनों में स्कूल न चलाए जाएं जो निर्माण नियमों का उल्लंघन कर रहे हों।
  • राज्य सरकारें इस संबंध में सख्त निगरानी करें और स्कूलों के बुनियादी ढांचे की जांच करें।

📜 रोहिंग्या शरणार्थियों की स्थिति पर क्या बोले वकील?

सरकार के वकील ने अदालत में दलील दी कि रोहिंग्या शरणार्थी संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी बोर्ड के अंतर्गत आते हैं और उनकी शिक्षा के लिए अलग से नीति बनाई जानी चाहिए।

🔎 निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला शिक्षा के अधिकार को मजबूती देता है और स्पष्ट करता है कि किसी भी बच्चे को उसकी जाति, धर्म या राष्ट्रीयता के आधार पर शिक्षा से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।

स्रोत: सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई रिपोर्ट।


Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top