इप्सेफ की 8वें वेतन आयोग और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के लिए सेवा नियमावली की मांग
इंडियन पब्लिक सर्विस इम्प्लाइज फेडरेशन (इप्सेफ) ने प्रधानमंत्री से अपील की है कि 8वें वेतन आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों का चयन कर इसके कार्यों को जल्द शुरू कराया जाए, ताकि 1 जनवरी 2026 से इसका लाभ कर्मचारियों को मिल सके। संगठन का मानना है कि इसमें देरी होने से सरकारी कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ेगी।
आउटसोर्सिंग और संविदा कर्मचारियों की समस्याएं
इप्सेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्र के अनुसार, देश में लगभग 20 लाख आउटसोर्सिंग और संविदा कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें से कई को मात्र 6000 से 8000 रुपये का वेतन मिलता है, जो आज के समय में अपर्याप्त है। संगठन ने मांग की है कि:
- इन कर्मचारियों को कम से कम न्यूनतम वेतन दिया जाए।
- वार्षिक वेतन वृद्धि और सेवा सुरक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए।
- कर्मचारियों को अनुचित रूप से हटाने से बचाने के लिए एजेंसी की मनमानी पर रोक लगाई जाए।
सेवा नियमावली की मांग
इप्सेफ के महासचिव प्रेमचंद्र और उपमहासचिव अतुल मिश्र ने प्रधानमंत्री से यह भी अनुरोध किया है कि आउटसोर्सिंग और संविदा कर्मचारियों के लिए सेवा नियमावली बनाई जाए। इससे उनके रोजगार में स्थिरता और सुरक्षा बढ़ेगी और उन्हें समान अधिकार मिल सकेंगे।
कर्मचारियों में बढ़ती नाराजगी
इप्सेफ के अनुसार, वेतन आयोग में देरी और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के अधिकारों की अनदेखी से कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ रही है। संगठन ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।
क्या है 8वां वेतन आयोग?
8वां वेतन आयोग सरकारी कर्मचारियों के वेतन, भत्तों और पेंशन में संशोधन के लिए गठित किया जाएगा। इसका उद्देश्य कर्मचारियों के जीवन स्तर को सुधारना और उन्हें महंगाई के अनुरूप उचित वेतन प्रदान करना है।
निष्कर्ष
इप्सेफ ने सरकार से आग्रह किया है कि वह जल्द से जल्द 8वें वेतन आयोग की स्थापना करे और आउटसोर्सिंग एवं संविदा कर्मचारियों के लिए सेवा नियमावली बनाए। इससे न केवल कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि काम के प्रति उनकी निष्ठा और उत्पादकता में भी वृद्धि होगी।