शिक्षकों का वेतन रोकने पर विवाद: बीएसए और डीआईओएस पर उठे सवाल
लखनऊ, प्रमुख संवाददाता: उत्तर प्रदेश में **शिक्षकों के वेतन रोकने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है**। बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) और जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) द्वारा **’अपार आईडी’ बनाने के कार्यों में शिथिलता का आरोप लगाते हुए** शिक्षकों का दिसंबर माह का वेतन रोक दिया गया। **हालांकि, इन्हें ऐसा करने का अधिकार नहीं है**, फिर भी प्रदेश के **24 जिलों में वेतन रोके जाने** की पुष्टि हुई है।
विरोध और आलोचना के बीच बड़ा सवाल
शिक्षकों के वेतन रोकने की इस कार्रवाई को लेकर **शिक्षक संगठनों में भारी रोष** है। उनका कहना है कि **बीएसए और डीआईओएस के पास वेतन रोकने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं** है, इसके बावजूद इस तरह की कार्रवाई की गई है।
इस मुद्दे पर **शिक्षा विभाग की महानिदेशक कंचन वर्मा** ने साफ किया कि **शिक्षकों का वेतन रोकना न तो जरूरी है और न ही किसी नियम में इसका प्रावधान है**। उन्होंने यह भी बताया कि **परिषदीय विद्यालयों में 80% से अधिक शिक्षकों की ‘अपार आईडी’ बन चुकी है**, इसलिए वेतन रोकने की कोई वजह नहीं है।
कौन-कौन से जिले प्रभावित?
जानकारी के अनुसार, प्रदेश के **24 जिलों में शिक्षकों के वेतन रोकने के आदेश जारी किए गए हैं**। इनमें शामिल जिले हैं:
- मऊ
- आजमगढ़
- बलिया
- चित्रकूट
- प्रयागराज
- भदोही
- कुशीनगर
- देवरिया
- अयोध्या
- मैनपुरी
- बागपत
- मेरठ
- कानपुर देहात
- कानपुर नगर
- कौशाम्बी
- रामपुर
- बलरामपुर
- बरेली
- लखनऊ
शासन की ओर से निर्देश
शासन ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि **किसी भी शिक्षक का वेतन रोकने का अधिकार बीएसए और डीआईओएस को नहीं है**। इसके बावजूद वेतन रोकने की घटनाएं सामने आ रही हैं। अब **स्कूल शिक्षा महानिदेशक ने स्पष्ट आदेश जारी कर दिया है कि ऐसी अनुचित कार्रवाई को तुरंत रोका जाए**।
शिक्षकों का आंदोलन और आगे की रणनीति
शिक्षक संगठनों ने इस मामले में **उच्च अधिकारियों और शिक्षा विभाग से तत्काल हस्तक्षेप की मांग** की है। अगर वेतन जल्द जारी नहीं हुआ तो शिक्षकों ने **राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ने की चेतावनी दी है**।
निष्कर्ष
इस पूरे घटनाक्रम से यह साफ हो गया है कि **शिक्षकों का वेतन रोकना न सिर्फ अवैध है, बल्कि यह प्रशासनिक मनमानी भी दर्शाता है**। शासन के निर्देशों के बावजूद **स्थानीय स्तर पर अधिकारी अपनी मनमर्जी चला रहे हैं**, जिससे शिक्षकों में नाराजगी बढ़ रही है। अब देखना यह होगा कि **शासन इस पर क्या ठोस कदम उठाता है**।
स्रोत: शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश