वेतन के साथ अब एनपीएस कटौती का बिल भी कोषागार भेजना होगा
लखनऊ। प्रदेश के अशासकीय (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारियों के एनपीएस (नई पेंशन योजना) अंशदान को समय पर खाते में न भेजने का मामला सामने आया था। इसके बावजूद जिला स्तर पर अधिकारियों की लापरवाही जारी रही। अब इस पर माध्यमिक शिक्षा विभाग ने सख्त रुख अपनाया है और सभी डीआईओएस को निर्देश दिया है कि वे हर महीने वेतन बिल के साथ एनपीएस कटौती का बिल भी कोषागार भेजें।
एनपीएस कटौती में लापरवाही पर विभाग सख्त
प्रदेश के एडेड माध्यमिक विद्यालयों में 1 अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए नई पेंशन योजना (NPS) लागू है। इस योजना के तहत शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के वेतन से 10% राशि काटकर राजकीय अंशदान (जो अब 14% हो गया है) के साथ प्रान (PRAN) खाते में भेजा जाता है।
हालांकि, हाल ही में सामने आया कि कई जिलों में शिक्षकों-कर्मचारियों का अंशदान काटने के बावजूद महीनों तक खाते में नहीं भेजा गया। इस लापरवाही के चलते शिक्षकों ने विरोध-प्रदर्शन भी किया और जांच में यह मामला सही पाया गया।
सभी डीआईओएस को निर्देश, हर महीने कोषागार भेजें एनपीएस बिल
माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने इस स्थिति को सुधारने के लिए सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों (DIOS) को निर्देश दिया है कि वे हर महीने शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन बिल के साथ एनपीएस कटौती व राजकीय अंशदान का बिल भी अनिवार्य रूप से कोषागार भेजें।
एनपीएस अंशदान में पारदर्शिता जरूरी
यह सुनिश्चित करने के लिए कि शिक्षकों-कर्मचारियों के पेंशन लाभ में कोई बाधा न आए, विभाग ने सख्त निगरानी रखने की बात कही है। अब प्रत्येक डीआईओएस को यह रिपोर्ट देनी होगी कि एनपीएस अंशदान समय पर कोषागार भेजा जा रहा है या नहीं।
शिक्षकों की मांग: एनपीएस कटौती में पारदर्शिता
शिक्षकों का कहना है कि एनपीएस कटौती की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए और समय-समय पर कटौती की जानकारी ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध कराई जाए, ताकि किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो।
निष्कर्ष
माध्यमिक शिक्षा विभाग की यह सख्ती शिक्षकों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए बेहद जरूरी है। अब हर महीने एनपीएस कटौती का बिल कोषागार भेजा जाएगा, जिससे शिक्षकों-कर्मचारियों को समय पर पेंशन लाभ मिल सके।
शिक्षकों के लिए अधिक जानकारी: एनपीएस आधिकारिक पोर्टल
