शिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कर्मियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही: नियम और प्रक्रिया
प्रेषक: महानिदेशक, स्कूल शिक्षा, उत्तर प्रदेश
सेवा में: जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, समस्त जनपद, उ०प्र०
📌 अनुशासनात्मक कार्यवाही का संदर्भ
शिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कर्मियों के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही विभिन्न विभागीय कार्यकमों में अपेक्षित परिणाम प्राप्त न होने या विभागीय आदेशों की अवहेलना के कारण की जाती है। हालांकि, यह संज्ञान में आया है कि कई मामलों में कार्यवाही के नाम पर वेतन अवरुद्ध किया जा रहा है, जो नियमों के विरुद्ध है।
⚖️ नियम और प्रावधान
उत्तर प्रदेश में शासनादेश संख्या 2352/79-5-2012-1(26)/2012 दिनांक 23 जुलाई, 2012 के तहत स्पष्ट किया गया है कि:
- वेतन या वेतन वृद्धि रोकना केवल अनुशासनात्मक कार्यवाही की विधिवत प्रक्रिया से संभव है।
- बिना औपचारिक आदेश के किसी भी शिक्षक/कर्मचारी का वेतन रोका नहीं जाएगा।
- अनुशासनात्मक कार्यवाही केवल गंभीर मामलों में ही लागू की जाएगी।
- यदि कोई अनुचित कार्यवाही की जाती है तो संबंधित अधिकारी के विरुद्ध भी कार्रवाई होगी।
🚫 अवैध वेतन रोक की रोकथाम
उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 1999 और उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद कर्मचारी वर्ग नियमावली 1973 के अनुसार:
- केवल विधिवत जांच के बाद ही वेतन रोका जा सकता है।
- मामले को मानव सम्पदा पोर्टल पर अपडेट किया जाना आवश्यक है।
- यदि किसी शिक्षक या कर्मी का वेतन अनुचित तरीके से रोका जाता है, तो दायित्व निर्धारण कर संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई की जाएगी।
📜 न्यायालय के आदेश
महोदय न्यायालय ने भी कई रिट याचिकाओं में यह स्पष्ट किया है कि वेतन अवरुद्ध करने को विधिक दस्तावेज नहीं माना जा सकता। इसलिए, यदि किसी कर्मचारी का वेतन रोका जाता है तो यह न्यायिक प्रक्रिया के विरुद्ध होगा।
✅ शिक्षा विभाग के निर्देश
शिक्षा विभाग द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि:
- अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए सभी निर्धारित नियमों का पालन किया जाए।
- अनुशासनिक कार्यवाही की प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही वेतन रोका जाए।
- शिक्षक/कर्मचारी की जानकारी को मानव सम्पदा पोर्टल पर अनिवार्य रूप से अपडेट किया जाए।
- अन्यथा संबंधित अधिकारी के विरुद्ध कठोर दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी।
📢 निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा यह सुनिश्चित किया गया है कि अनुशासनात्मक कार्यवाही सुस्पष्ट और निष्पक्ष तरीके से हो। बिना उचित प्रक्रिया के किसी शिक्षक/कर्मचारी का वेतन रोकना गलत है और इससे बचने के लिए सभी अधिकारियों को दिए गए दिशानिर्देशों का पालन करना होगा।
यदि कोई शिक्षक/कर्मचारी इस तरह की समस्या का सामना कर रहा है, तो वे शिक्षा विभाग में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।