शिक्षकों की कमी से छात्र परेशान, हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई
प्रयागराज, विधि संवाददाता। उत्तर प्रदेश में शिक्षकों की कमी का मामला एक बार फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणियों के केंद्र में आ गया। कोर्ट ने कहा कि प्रदेश में शिक्षकों की भारी कमी के कारण छात्र परेशान हो रहे हैं और सरकार इस समस्या के समाधान में गंभीरता नहीं दिखा रही है।
■ कोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार
यह टिप्पणी न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने कृषि औद्योगिक विद्यालय एएयू, अतर्रा, बांदा की प्रबंध समिति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान की। याचिका में शैक्षिक और गैर-शैक्षिक कर्मचारियों की रिक्तियों को जल्द से जल्द भरने की मांग की गई थी।
■ जून 2022 से शिक्षकों के पद खाली
याचिका के अनुसार, विद्यालय में एक प्रधानाध्यापक, दो सहायक अध्यापक, एक क्लर्क और दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद जून 2022 से रिक्त पड़े हैं। बार-बार अनुरोध के बावजूद भी इन पदों पर नियुक्तियां नहीं की गई हैं, जिससे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
■ शिक्षकों की कमी से शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित
कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों के बीच कई बैठकों के बावजूद अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। पिछली सुनवाई में भी हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर सरकार को फटकार लगाई थी और कहा था कि बड़ी संख्या में रिक्तियों के कारण प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था कमजोर हो रही है।
■ सरकार को 10 दिन में रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश
सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि सरकार ने महानिदेशक बेसिक शिक्षा से स्पष्ट रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला। इस पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए महानिदेशक बेसिक शिक्षा को निर्देश दिया कि वे 10 दिन के भीतर राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें और इसका व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करें।
■ अगली सुनवाई 17 फरवरी को
हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 फरवरी की तारीख तय की है। अब देखना होगा कि सरकार इस मामले में कितनी तेजी से कार्रवाई करती है या फिर एक बार फिर कोर्ट को सख्त रुख अपनाना पड़ेगा।
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