मदरसों में कामिल और फाजिल की कक्षाएं बंद, 37,000 विद्यार्थियों का भविष्य अधर में
उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए मदरसों में कामिल (स्नातक) और फाजिल (परास्नातक) की कक्षाओं को बंद करने का आदेश जारी किया है। हालांकि, पहले से पढ़ रहे विद्यार्थियों के भविष्य को लेकर अभी तक कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया गया है। इस फैसले से राज्य के लगभग 37,000 छात्रों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
कामिल और फाजिल डिग्री को सुप्रीम कोर्ट ने किया असंवैधानिक घोषित
मदरसा शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त कामिल और फाजिल डिग्री को यूजीसी (UGC) से मान्यता नहीं मिली थी। इसको लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में था, जहां हाल ही में इन डिग्रियों को असंवैधानिक घोषित कर दिया गया। इस निर्णय के बाद मदरसा शिक्षा परिषद ने इन पाठ्यक्रमों में नए प्रवेश पर पूरी तरह से रोक लगा दी है।
16460 मदरसों के 37,000 छात्रों का भविष्य अधर में
उत्तर प्रदेश के **16460 मदरसों** में पढ़ाई कर रहे कामिल और फाजिल डिग्री के विद्यार्थियों के भविष्य को लेकर अब अनिश्चितता बनी हुई है। इनमें **कामिल के प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष** में लगभग **28,000 छात्र** हैं, जबकि **फाजिल के प्रथम और द्वितीय वर्ष** में **9,000 विद्यार्थी** नामांकित हैं।
क्या होगा वर्तमान छात्रों का भविष्य?
हालांकि, मदरसा शिक्षा परिषद ने भविष्य में इन डिग्रियों के नए दाखिले बंद कर दिए हैं, लेकिन पहले से पढ़ रहे विद्यार्थियों का मामला हाईकोर्ट में लंबित है। जब तक कोर्ट का निर्णय नहीं आता, तब तक इन छात्रों का भविष्य अधर में रहेगा।
भाषा विश्वविद्यालय से संबद्धता का मामला अटका
सरकार इन डिग्रियों को किसी भाषा विश्वविद्यालय से संबद्ध करने पर विचार कर रही थी, जिससे इनकी मान्यता बनी रहे। लेकिन यह निर्णय आने से पहले ही मदरसा शिक्षा परिषद ने कक्षाओं को बंद करने का फैसला कर लिया।
सरकार और छात्रों के लिए बड़ी चुनौती
इस फैसले के बाद छात्रों के लिए करियर और रोजगार के विकल्प सीमित हो सकते हैं। मदरसा शिक्षा से पढ़ाई करने वाले छात्र आगे क्या करें, यह स्पष्ट नहीं है। सरकार को जल्द ही कोई ठोस समाधान निकालना होगा ताकि इन छात्रों का भविष्य सुरक्षित रह सके।
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का आदेश
राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने सभी जिला मदरसा अधिकारियों को पत्र भेजकर यह स्पष्ट कर दिया है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद मदरसा शिक्षा परिषद अब इन डिग्रियों की पढ़ाई या अध्यापन नहीं कर सकता।
आगे की राह
अब पूरा मामला हाईकोर्ट के निर्णय पर निर्भर करेगा। जब तक कोर्ट कोई निर्णय नहीं देता, तब तक 37,000 विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार में बना रहेगा। सरकार और शिक्षा विभाग को जल्द ही इन छात्रों के लिए कोई वैकल्पिक योजना बनानी होगी।
आपका क्या विचार है? इस फैसले को लेकर आपकी राय क्या है? हमें कमेंट में बताएं।