Bed ब्रिज कोर्स का मुद्दा ,पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

**बी.एड ब्रिज कोर्स पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला** 

सुप्रीम कोर्ट ने बी.एड डिग्री धारकों को प्राथमिक विद्यालयों (कक्षा 1 से 5) में शिक्षक पद के लिए अयोग्य करार दिया है। यह फैसला राजस्थान हाईकोर्ट के 2021 के उस निर्णय को बरकरार रखते हुए आया है, जिसमें कहा गया था कि प्राथमिक शिक्षा के लिए डी.एल.एड (D.El.Ed) वाले अभ्यर्थी ही उपयुक्त हैं। 

फैसले का कारण 
1. **विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता** – प्राथमिक शिक्षा के लिए बी.एड धारकों को उचित प्रशिक्षण नहीं मिला है, जबकि डी.एल.एड पाठ्यक्रम विशेष रूप से प्राथमिक स्तर की शिक्षा के लिए डिज़ाइन किया गया है। 
2. **एनसीटीई की अधिसूचना को अस्वीकार किया** – 2018 में राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (NCTE) ने बी.एड धारकों को प्राथमिक शिक्षक बनने की अनुमति दी थी, बशर्ते वे छह महीने का ब्रिज कोर्स पूरा करें। सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिसूचना को अस्वीकार कर दिया क्योंकि ब्रिज कोर्स उपलब्ध ही नहीं था। 

### **अब आगे क्या?** 
– **पुराने बी.एड शिक्षकों के लिए ब्रिज कोर्स अनिवार्य** – जो बी.एड शिक्षक 11 अगस्त 2023 से पहले नियुक्त हो चुके हैं, उन्हें छह महीने का ब्रिज कोर्स पूरा करना होगा। 
– **ब्रिज कोर्स पूरा न करने पर नियुक्ति रद्द** – अगर शिक्षक तय समय में ब्रिज कोर्स नहीं करते हैं, तो उनकी नियुक्ति रद्द कर दी जाएगी। 

### **बी.एड अभ्यर्थियों में नाराजगी** 
इस फैसले के बाद उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में बी.एड धारक विरोध प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने एनसीटीई की अधिसूचना के आधार पर शिक्षक बनने की तैयारी की थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उनके भविष्य पर संकट खड़ा हो गया है। 

यह निर्णय बी.एड धारकों के लिए एक बड़ा झटका है, लेकिन यह प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम भी माना जा रहा है।

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