738 केंद्रों पर हुई यूपी बोर्ड की प्रायोगिक परीक्षा
प्रयागराज, मुख्य संवाददाता – यूपी बोर्ड की इंटरमीडिएट की प्रायोगिक परीक्षा शनिवार से शुरू हो गई। इस परीक्षा में कुल आठ मंडलों के 36 जिलों में एक साथ प्रयोगात्मक परीक्षाओं का आयोजन किया गया। परीक्षा 1 फरवरी से 8 फरवरी तक चलेगी और इसके तहत छात्रों को अपनी प्रयोगात्मक परीक्षाएं देनी होंगी। इस बार यूपी बोर्ड ने परीक्षा के संचालन को पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए कई नई तकनीकों का उपयोग किया है।
कुल 738 केंद्रों पर आयोजित की गई परीक्षा
यूपी बोर्ड के तहत आयोजित की जा रही प्रायोगिक परीक्षा में कुल 738 केंद्रों पर परीक्षाएं कराई गईं। इस दौरान परीक्षा के सुचारु संचालन के लिए 9,977 परीक्षकों की नियुक्ति की गई थी। परीक्षा के निगरानी और पर्यवेक्षण के लिए 230 सेक्टर मजिस्ट्रेट भी तैनात किए गए थे। इन मजिस्ट्रेटों का कार्य सुनिश्चित करना था कि परीक्षा सही ढंग से और बिना किसी गड़बड़ी के आयोजित की जाए।
सीसीटीवी कैमरे और नई तकनीकी प्रणाली के तहत निगरानी
इस बार प्रयोगात्मक परीक्षाओं के दौरान सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में परीक्षा ली गई, ताकि किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी या अनुशासनहीनता को रोका जा सके। साथ ही, नई तकनीकी प्रणाली के तहत परीक्षा के अंकों को जिओ फेंसिंग प्रणाली के माध्यम से ऑनलाइन अपलोड किया गया। मोबाइल एप के जरिए परीक्षकों की उपस्थिति को भी जियो लोकेशन के साथ प्रमाणित किया गया। यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और सुरक्षित रही, जिससे किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की संभावना को नकारा जा सका।
परीक्षा के संचालन के लिए कंट्रोल रूम का गठन
यूपी बोर्ड ने परीक्षा के संचालन को लेकर कंट्रोल रूम स्थापित किए हैं। बोर्ड के सभी पांच क्षेत्रीय कार्यालयों और मुख्यालय में कंट्रोल रूम बनाए गए थे, जिनके माध्यम से जिलों में स्थित कंट्रोल रूम और परीक्षा केंद्रों से लगातार संपर्क बनाए रखा गया। यह संपर्क परीक्षा की गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने में मददगार साबित हुआ।
उम्मीदें और भविष्य की तैयारी
इस साल की प्रायोगिक परीक्षा के संचालन से यह साफ है कि यूपी बोर्ड तकनीकी निगरानी और परीक्षा संचालन में लगातार सुधार कर रहा है। इससे परीक्षा प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने में मदद मिलेगी। अब छात्रों को भी अपनी परीक्षाओं में आसानी और विश्वास के साथ हिस्सा लेने का अवसर मिलेगा।