जनगणना की संभावना कम, सिर्फ 574 करोड़ रुपये आवंटित किए
नई दिल्ली। वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट प्रस्तावों से यह साफ हो गया है कि इस साल भी भारत में जनगणना की संभावना बहुत कम है। केंद्रीय सरकार ने इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए सिर्फ 574.80 करोड़ रुपये का आवंटन किया है, जो पिछले वर्षों की तुलना में बहुत कम है। यह बजट जनगणना की प्रक्रिया को और अधिक टालने का संकेत देता है।
जनगणना के लिए पिछला बजट आवंटन
साल 2019 में, जब केंद्रीय कैबिनेट ने 2021 की जनगणना के लिए 8,754.23 करोड़ रुपये और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट करने के लिए 3,941.35 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी थी, तो यह उम्मीद जताई जा रही थी कि जनगणना जल्द ही शुरू हो जाएगी। लेकिन कोरोना महामारी के कारण वर्ष 2020 में जनगणना को रोक दिया गया। इसके बाद से अब तक कोई नई तारीख निर्धारित नहीं की गई है।
वित्तीय वर्ष 2021-22 में जनगणना के लिए आवंटन
वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट में जनगणना के लिए 3,768 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जो पहले के मुकाबले बहुत कम थे। लेकिन 2025-26 के बजट में यह राशि घटकर केवल 574.80 करोड़ रुपये रह गई है। इस कम आवंटन से यह साफ प्रतीत होता है कि जनगणना की प्रक्रिया को और लंबा खींचा जा सकता है।
जनगणना के आगे टलने के संकेत
इस कम बजट आवंटन से यह संकेत मिलते हैं कि सरकार की प्राथमिकता इस समय अन्य कार्यों पर है, और जनगणना की प्रक्रिया को टालने की संभावना ज्यादा है। जनगणना, जो भारत के विकास और योजनाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, अब और अधिक विलंबित हो सकती है।
निष्कर्ष
बजट में जनगणना के लिए बहुत कम आवंटन से यह स्पष्ट हो गया है कि इस महत्वपूर्ण कार्य को आगे बढ़ाने की योजना फिलहाल नहीं है। इसके परिणामस्वरूप, यह प्रक्रिया अब और देरी का शिकार हो सकती है, और सरकार को भविष्य में इसके लिए और अधिक संसाधनों की आवश्यकता होगी।