मानसिक सेहत बिगाड़ रहा सोशल मीडिया
नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर समय बिताना, व्यायाम से दूरी और परिवार को पर्याप्त समय न देना युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य के लिहाज से हानिकारक हो सकता है।
आर्थिक सर्वेक्षण में मानसिक स्वास्थ्य पर चिंता
शुक्रवार को संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में कहा गया कि युवाओं, बच्चे और किशोरों का बेहतर मानसिक स्वास्थ्य भारत की अर्थव्यवस्था को गति देगा। सर्वेक्षण में सोशल मीडिया के अत्यधिक इस्तेमाल को बच्चों और किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य से जोड़ा गया है।
इंटरनेट और सोशल मीडिया का प्रभाव
सर्वेक्षण में जोनाथन हैडट की पुस्तक ‘द एनक्सियस जेनरेशनः हाउ द ग्रेट रीवायरिंग ऑफ चिल्ड्रन इज कॉजिंग ए एपिडेमिक ऑफ मेंटल इलनेस’ का हवाला देते हुए बताया गया कि फोन-आधारित बचपन से मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। जब बच्चे सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताते हैं और परिवार से दूर रहते हैं, तो उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता
आर्थिक सर्वेक्षण में इस मुद्दे पर तत्काल हस्तक्षेप की जरूरत पर जोर दिया गया है। स्कूल और परिवार स्तर पर सक्रिय हस्तक्षेप से बच्चे और किशोर इंटरनेट और सोशल मीडिया के प्रभाव से दूर रह सकते हैं। उनके लिए स्वस्थ सामाजिक समय, खेलकूद और पारिवारिक संबंधों पर ध्यान देना जरूरी है।
मानसिक स्वास्थ्य सुधार के उपाय
मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करने के लिए जीवनशैली में सुधार की जरूरत है। जंक फूड से बचना, परिवार के साथ समय बिताना, दोस्तों से मिलना, और व्यायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना इसके प्रमुख उपाय हैं।
जीवनशैली का असर आर्थिक विकास पर
सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि स्वस्थ जीवनशैली विकल्प, कार्यस्थल की संस्कृति और पारिवारिक स्थितियां आर्थिक महत्त्वाकांक्षाओं को पूरा करने में अहम भूमिका निभाती हैं। सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन में बदलाव से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार संभव है, जिससे राष्ट्र की उत्पादकता और अर्थव्यवस्था में सकारात्मक बदलाव आएगा।