82% ने माना, देश में जन्म लेने वाला ही सच्चा भारतीय
वाशिंगटन, एजेंसी: दुनियाभर के 36 देशों में किए गए प्यू रिसर्च सेंटर के सर्वे में एक दिलचस्प तथ्य सामने आया है। इसमें 82% भारतीयों का मानना है कि सच्चा भारतीय बनने के लिए देश में जन्म लेना अनिवार्य है।
स्थानीय भाषा से जुड़ाव जरूरी, लेकिन जन्म लेना अहम
सर्वे में 33 देशों के लोगों ने माना कि स्थानीय भाषा बोलना अपनेपन का एहसास दिलाने के लिए जरूरी है। लेकिन भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देशों में राष्ट्रीय पहचान के लिए देश में जन्म लेने को सबसे महत्वपूर्ण माना गया।
नीदरलैंड में भी दिलचस्प आंकड़े सामने आए। यहां 40 वर्ष से अधिक आयु के 72% लोग मानते हैं कि डच भाषा बोलना जरूरी है, जबकि 40 वर्ष से कम आयु के केवल 45% लोग ही ऐसा सोचते हैं।
दक्षिणपंथी और वामपंथी विचारधारा की राय अलग
कई देशों में दक्षिणपंथी विचारधारा से जुड़े लोग भाषा को राष्ट्रीय पहचान का एक अहम हिस्सा मानते हैं, जबकि वामपंथी विचारधारा के लोग इसे कम महत्व देते हैं।
अमेरिका में रूढ़िवादी (कंजरवेटिव) लोगों के बीच यह धारणा ज्यादा मजबूत है कि अंग्रेजी बोलना अमेरिकी पहचान के लिए जरूरी है। वहीं, यूरोप में दक्षिणपंथी दलों के समर्थकों ने भाषा को राष्ट्रीयता से जोड़कर देखा।
भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका की समान सोच
भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे मध्यम आय वाले देशों में अधिकांश लोगों की राय लगभग समान है।
- भारत और बांग्लादेश में 10 में से 8 लोग मानते हैं कि सच्चे नागरिक होने के लिए देश में जन्म लेना जरूरी है।
- इंडोनेशिया, केन्या, पेरू, फिलीपींस और श्रीलंका में भी लगभग 75% से अधिक लोगों की यही राय है।
धर्म को मिला सबसे कम महत्व
2023 और 2024 में किए गए इस सर्वे में कुल 65,000 लोगों ने भाग लिया। दिलचस्प बात यह रही कि सभी देशों में धर्म को राष्ट्रीय पहचान के लिए सबसे कम महत्वपूर्ण माना गया।
सर्वे के नतीजे यह दर्शाते हैं कि दुनिया के कई देशों में राष्ट्र की पहचान को भाषा और जन्म से जोड़ा जाता है, जबकि धर्म को कम महत्व दिया जाता है।
निष्कर्ष
यह सर्वे बताता है कि भारत और अन्य कई देशों में राष्ट्रीय पहचान को लेकर स्थानीय जन्म को अधिक महत्व दिया जाता है। हालांकि, कई पश्चिमी देशों में स्थानीय भाषा को अधिक प्राथमिकता दी जाती है।
क्या राष्ट्र की पहचान के लिए जन्म लेना ही जरूरी है, या भाषा और संस्कृति भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं? इस पर अलग-अलग देशों की राय भले ही अलग हो, लेकिन यह साफ है कि अपनी जड़ों से जुड़ाव हर देश के नागरिक के लिए बेहद मायने रखता है।