अब निजी और सहायता प्राप्त स्कूलों में भी 12 सप्ताह का विद्या प्रवेश कार्यक्रम
लखनऊ। प्रदेश में परिषदीय विद्यालयों में सफलतापूर्वक चल रहे विद्या प्रवेश कार्यक्रम को अब निजी व सहायता प्राप्त (एडेड) स्कूलों में भी लागू किया जाएगा। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बच्चों को स्कूली शिक्षा के लिए मानसिक रूप से तैयार करना और भाषा व गणितीय दक्षता को मजबूत बनाना है।
क्या है विद्या प्रवेश कार्यक्रम?
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और निपुण भारत मिशन के तहत पूर्व प्राथमिक शिक्षा को मूलभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान का आधार स्तंभ माना गया है। इस नीति के अनुसार, 5 से 6 वर्ष के बच्चों को एक वर्ष की बालवाटिका कक्षा में गतिविधि आधारित शिक्षा दी जानी चाहिए। इसी उद्देश्य से राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) ने विद्या प्रवेश / स्कूल रेडीनेस कार्यक्रम और इसका मैनुअल तैयार किया है।
परिषदीय विद्यालयों में पहले से लागू
प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में 2022-23 से 12 सप्ताह का विद्या प्रवेश कार्यक्रम सत्र की शुरुआत में लागू किया गया था। इसके बेहद सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं, जिससे बच्चों की सीखने की क्षमता में सुधार हुआ है।
अब सभी स्कूलों में होगा लागू
महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने सभी जिलाधिकारियों (DM) को पत्र भेजकर निर्देश दिया है कि शिक्षा मंत्रालय के निर्देशानुसार, सत्र 2025-26 से निजी और सहायता प्राप्त स्कूलों में भी कक्षा 1 के छात्रों के लिए यह कार्यक्रम अनिवार्य किया जाए।
कार्यक्रम के उद्देश्य और लाभ
- बच्चों को पढ़ाई का डर खत्म करने में मदद मिलेगी।
- गतिविधि आधारित शिक्षा से भाषा और गणितीय दक्षता मजबूत होगी।
- बच्चों का स्कूल के प्रति रुझान बढ़ेगा और वे शिक्षा में रुचि लेंगे।
- सीखने की प्रक्रिया को मज़ेदार और प्रभावी बनाया जाएगा।
सभी स्कूलों को निर्देश जारी
महानिदेशक ने जिलाधिकारियों से कहा है कि वे अपने स्तर से इस कार्यक्रम के अनुपालन के लिए निर्देश जारी करें। इससे स्कूल आने वाले बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में सहायता मिलेगी।
निष्कर्ष
प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में विद्या प्रवेश कार्यक्रम ने शानदार परिणाम दिए हैं। अब इसे निजी और सहायता प्राप्त स्कूलों में भी लागू करने से बच्चों के प्रारंभिक सीखने के स्तर में सुधार होगा। यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता को और अधिक सशक्त बनाएगा और हर बच्चे को समान अवसर प्रदान करेगा।