📚 विद्या प्रवेश कार्यक्रम: कक्षा एक के बच्चों के लिए 12 सप्ताह की गतिविधि आधारित शिक्षा
प्रदेश में अब निजी व सहायता प्राप्त (एडेड) स्कूलों में भी कक्षा एक में दाखिले की शुरुआत में 12 सप्ताह का विद्या प्रवेश कार्यक्रम चलाया जाएगा। इस कार्यक्रम के तहत बच्चों को गतिविधि आधारित भाषा और गणित की दक्षता से अवगत कराया जाएगा, जिससे वे शिक्षा के लिए मानसिक रूप से तैयार हो सकें।
🎯 कार्यक्रम का उद्देश्य
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और निपुण भारत मिशन के तहत पूर्व-प्राथमिक शिक्षा को मूलभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान का आधार स्तंभ माना गया है। इस नीति के अनुसार:
- 👶 5-6 वर्ष के बच्चों को बालवाटिका कक्षा में एक वर्ष तक गतिविधि आधारित शिक्षा दी जाएगी।
- 📖 भाषा और अंक गणित की प्रारंभिक समझ विकसित की जाएगी।
- 🎭 बच्चों के बीच शिक्षा के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए खेल-आधारित शिक्षण को बढ़ावा दिया जाएगा।
🏫 परिषदीय विद्यालयों में पहले से लागू
प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में वर्ष 2022-23 से हर साल की शुरुआत में विद्या प्रवेश कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके सकारात्मक परिणामों को देखते हुए अब इसे निजी और सहायता प्राप्त विद्यालयों में भी लागू करने का निर्णय लिया गया है।
📜 डीएम को दिए गए निर्देश
महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने सभी जिलाधिकारियों (DM) को पत्र भेजकर निर्देश दिया है कि यह कार्यक्रम सभी निजी और एडेड विद्यालयों में भी प्रभावी रूप से लागू किया जाए।
निर्देशों में कहा गया है:
- 📌 बच्चों को विद्यालय के माहौल में आरामदायक अनुभव देने के लिए विशेष रणनीति अपनाई जाए।
- 📌 भयमुक्त वातावरण में पढ़ाई को रुचिकर बनाने के लिए गतिविधि आधारित शिक्षा दी जाए।
- 📌 स्कूलों में कार्यक्रम के सही क्रियान्वयन की निगरानी की जाए।
✨ कार्यक्रम के संभावित लाभ
लाभ | विवरण |
---|---|
📖 भाषा और अंक ज्ञान | बच्चों को पढ़ाई की मूलभूत समझ मिलेगी। |
🎭 गतिविधि-आधारित शिक्षण | खेल-खेल में शिक्षा देने से सीखने की रुचि बढ़ेगी। |
🧠 मानसिक तैयारी | बच्चे मानसिक रूप से स्कूल जाने के लिए तैयार होंगे। |
🏫 अनुकूल स्कूल वातावरण | बच्चों को स्कूल के प्रति सकारात्मक भावना विकसित होगी। |
🔎 निष्कर्ष
विद्या प्रवेश कार्यक्रम बच्चों को शिक्षा के प्रति बिना किसी डर के मानसिक रूप से तैयार करने की एक अनूठी पहल है। अब यह निजी और सहायता प्राप्त स्कूलों में भी लागू होगा, जिससे लाखों बच्चों को लाभ मिलेगा।
यदि इस कार्यक्रम का सही तरीके से क्रियान्वयन किया गया, तो शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा और बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा के दौरान बेहतर समझ विकसित करने में मदद मिलेगी।
क्या यह पहल बच्चों की शिक्षा में सकारात्मक बदलाव लाएगी? अपनी राय हमें बताएं! 💬