भारतीय वैज्ञानिकों ने कोरोना की दवा बनाई, मिली पेटेंट







भारतीय वैज्ञानिकों ने कोरोना की दवा बनाई, मिली पेटेंट

भारतीय वैज्ञानिकों ने कोरोना की दवा बनाई, मिली पेटेंट

लखनऊ। कोरोना महामारी के बाद, भारतीय वैज्ञानिकों ने अब कोरोना की दवा भी तैयार कर ली है, जो जल्द ही बाजार में उपलब्ध होगी।
लखनऊ विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग में आयोजित एक कॉन्फ्रेंस के दौरान यह जानकारी दी गई।
इस दवा को पेटेंट मिल चुका है और 200 मरीजों पर तीन सफल ट्रायल किए गए हैं। दवा का नाम लाइफ वैरो ट्रीट रखा गया है और
इसे इनहेलेशन तकनीक द्वारा लिया जाएगा, जो कि शरीर में बिना किसी दुष्प्रभाव के प्रवेश करेगी।

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💉 दवा का ट्रायल और पेटेंट

इस दवा का सफल ट्रायल 200 मरीजों पर किया गया था और अब इसे पेटेंट मिल चुका है। डॉ. केशव देव,
जो कि आईएससीबीसी के वाइस प्रेसीडेंट हैं, ने इस दवा के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह कोरोना की पहली मेडिसिन है
जो भारत में बनाई गई है। ट्रायल के दौरान, दवा को सांस द्वारा शरीर में लिया गया और यह शरीर में बिना किसी दुष्प्रभाव के कार्य करती है।

🌍 दवा की विशेषताएँ

लाइफ वैरो ट्रीट दवा को इनहेलेशन के माध्यम से लिया जाएगा, जिससे इसका असर शरीर में सीधे पहुंचता है।
इसकी तकनीकी संरचना और प्रभावी परिणामों के चलते यह दवा कोरोना के इलाज में अहम भूमिका निभा सकती है। डॉ. केशव देव ने बताया कि
यह दवा कोविड-19 के खिलाफ तैयार की गई देश की पहली मेडिसिन होगी और इसे जल्द ही बाजार में उतारने की तैयारी है।

💡 दवा के विकास का इतिहास

डॉ. केशव देव ने 1989 में सीडीआरआई से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की थी और इसके बाद उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय में
जर्मन भाषा का अध्ययन भी किया था। 2017 में उन्होंने एक कंपनी स्थापित की और कोविड औषधि के विकास पर काम शुरू किया।
यह दवा एक सफलता का प्रतीक है, जिसे हैदराबाद की कंपनी ने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन और स्वास्थ्य मंत्रालय की निगरानी में
तैयार किया है।

🧪 इंडियन सोसाइटी ऑफ केमिस्ट एंड बायोलॉजिस्ट (आईएससीबीसी) कांफ्रेंस

लखनऊ विश्वविद्यालय में आयोजित आईएससीबीसी के सम्मेलन में यह जानकारी दी गई। इस दौरान
कार्डिफ विश्वविद्यालय के डिप्टी हेड प्रोफेसर दीपक पी. रामजी ने दिल और धमनी के रोगों से संबंधित
विभिन्न शोध प्रस्तुत किए। सम्मेलन में कैरोल ग्रीला (वारसों विश्वविद्यालय), प्रो. आलम नूर-ए-कमल (मेडगर एवर्स कॉलेज, न्यूयॉर्क)
और अन्य विशेषज्ञों ने शैक्षिक और चिकित्सा क्षेत्र में नवाचारों पर विचार व्यक्त किए।

📅 भविष्य में दवा का प्रभाव

यह दवा कोरोना महामारी से निपटने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। इसके आने से कोविड-19 के इलाज में नए
मार्ग प्रशस्त हो सकते हैं। इस दवा के जरिए भारत न केवल कोरोना के इलाज में बल्कि दुनिया भर में अपने वैज्ञानिक शोध
और नवाचारों के लिए एक मिसाल पेश कर सकता है।


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