केजीएमयू में कैंसर के इलाज के लिए रेडियोन्यूक्लाइड थेरेपी की शुरुआत
लखनऊ: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में अब कैंसर के मरीजों के लिए टारगेटेड थेरेपी उपलब्ध है। यह तकनीक प्रोस्टेट, थॉयराइड और अन्य हिस्सों में फैले कैंसर के अचूक इलाज में मददगार है।
टारगेटेड थेरेपी: जहां कैंसर, वहीं हमला
रेडियोन्यूक्लाइड थेरेपी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह दवाई सिर्फ कैंसरग्रस्त हिस्से पर हमला करती है। इस थेरेपी के जरिए शरीर के अन्य स्वस्थ हिस्सों को नुकसान नहीं होता। KGMU के न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग में इस अत्याधुनिक इलाज की शुरुआत की गई है।
न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग के डॉ. प्रकाश सिंह ने बताया कि इस तकनीक में सबसे पहले पेट स्कैन के जरिए यह पता लगाया जाता है कि शरीर में कैंसर कहां-कहां फैला है। इसके बाद मरीज को खास दवाई दी जाती है, जो सीधे कैंसर कोशिकाओं को निशाना बनाती है।
एक बार की खुराक का खर्च और असर
रेडियोन्यूक्लाइड थेरेपी में एक बार की खुराक का खर्च करीब 50,000 रुपये आता है। हालांकि, कई मरीजों को एक से दो खुराक में ही राहत मिल जाती है।
डॉ. प्रकाश सिंह के अनुसार, एक खुराक का असर करीब दो महीने तक रहता है। इस दौरान मरीज को असहनीय दर्द से पूरी तरह राहत मिलती है। जरूरत पड़ने पर इस दवा को अधिकतम छह बार दिया जा सकता है।
केजीएमयू कुलपति ने जताई खुशी
KGMU की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने इस थेरेपी की शुरुआत पर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि यह तकनीक कैंसर मरीजों के इलाज में नई उम्मीद लेकर आई है। यह खासतौर पर उन मरीजों के लिए फायदेमंद है, जिनका कैंसर हड्डियों तक फैल चुका है और उन्हें असहनीय दर्द का सामना करना पड़ रहा है।
कैंसरग्रस्त मरीजों के लिए कारगर
रेडियोन्यूक्लाइड थेरेपी प्रोस्टेट, थॉयराइड और मूल स्थान से अन्य हिस्सों में फैले कैंसर के इलाज में बेहद प्रभावी साबित हो रही है। जब कैंसर हड्डियों तक फैल जाता है, तो इस तकनीक से मरीज को दर्द से तुरंत राहत मिलती है।
यह थेरेपी न केवल कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करती है, बल्कि मरीज की जीवन गुणवत्ता में भी सुधार करती है। तीन सप्ताह बाद मरीज की स्थिति का आकलन किया जाता है, ताकि उपचार के परिणामों को बेहतर बनाया जा सके।