उत्तराखंड बना समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 27 जनवरी 2025 को एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को उत्तराखंड में लागू करने की घोषणा की। यह स्वतंत्र भारत में पहली बार है जब किसी राज्य ने यूसीसी लागू किया है।
यूसीसी लागू होने के प्रमुख प्रावधान
यूसीसी का उद्देश्य सभी नागरिकों को जाति, धर्म, और लिंग के आधार पर समान अधिकार देना है। इसके प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं:
1. पंजीकरण शुल्क में छूट
यूसीसी लागू होने से पूर्व जिन व्यक्तियों का विवाह पंजीकृत हुआ है या तलाक की डिक्री घोषित हुई है, उनसे अगले छह महीने तक पंजीकरण शुल्क नहीं लिया जाएगा।
2. बेटियों को संपत्ति में समान अधिकार
इस कानून के तहत बेटियों को संपत्ति में समान अधिकार दिए गए हैं। मृतक की संपत्ति पर पत्नी, बच्चे और माता-पिता को भी समान अधिकार प्रदान किए गए हैं।
3. अनुसूचित जनजातियां रहेंगी बाहर
संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत वर्णित अनुसूचित जनजातियों को यूसीसी के दायरे से बाहर रखा गया है, जिससे उनके पारंपरिक रीति-रिवाज संरक्षित रह सकें।
लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य
यूसीसी के तहत लिव-इन रिलेशनशिप को भी पंजीकृत करना अनिवार्य कर दिया गया है। पहले से स्थापित लिव-इन संबंधों को एक महीने के भीतर और नए संबंधों को भी तय समय सीमा में पंजीकृत कराना होगा।
लिव-इन रिलेशनशिप में जन्मे बच्चों को समान अधिकार प्रदान किए गए हैं।
महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा
यूसीसी का एक बड़ा उद्देश्य महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण सुनिश्चित करना है। हलाला, तीन तलाक जैसी प्रथाओं पर रोक लगाई गई है। इसके अलावा, सभी धर्मों की महिलाओं को समान अधिकार दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने किया पोर्टल लॉन्च
मुख्यमंत्री धामी ने ucc.uk.gov.in पोर्टल लॉन्च किया, जहां ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा दी गई है। नियमावली को सरल और पारदर्शी बनाया गया है ताकि नागरिकों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
इस पोर्टल पर मुख्यमंत्री ने अपने विवाह का पंजीकरण करके इसका शुभारंभ किया।