स्कूलों के ऊपर से गुजरने वाली बिजली लाइनों को हटाने का बेसिक शिक्षा विभाग का बड़ा फैसला









स्कूलों के ऊपर से गुजरने वाली बिजली लाइनों को हटाने का बेसिक शिक्षा विभाग का बड़ा फैसला

स्कूलों के ऊपर से गुजरने वाली बिजली लाइनों को हटाने का बेसिक शिक्षा विभाग का बड़ा फैसला

लखनऊ, प्रमुख संवाददाता। बेसिक शिक्षा विभाग ने प्रदेशभर में प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों के ऊपर से गुजरने वाली बिजली की हाई टेंशन (एचटी) और लो टेंशन (एलटी) लाइनों को हटाने का ऐतिहासिक फैसला किया है।

खतरे का कारण बनी बिजली लाइनें होंगी हटाई

इन बिजली लाइनों को हटाने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने लंबे समय से विद्युत विभाग से अनुरोध किया था। हालांकि, भारी खर्चे के कारण यह प्रक्रिया अटकी हुई थी। अब बेसिक शिक्षा विभाग ने इन लाइनों को अपने खर्चे पर हटाने का निर्णय लिया है, जिससे स्कूल परिसरों को सुरक्षित बनाया जा सके।

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तत्काल कार्रवाई के निर्देश

बेसिक शिक्षा निदेशक ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। अधिकारियों को ऐसे स्कूलों की सूची तैयार करने और इन लाइनों को हटाने पर होने वाले खर्चे का ब्यौरा देने को कहा गया है। इसके लिए एक प्रोफार्मा भी जारी किया गया है।

3938 स्कूलों पर मंडरा रहा खतरा

प्रदेश के 3938 प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों के ऊपर से एचटी/एलटी लाइनें गुजर रही हैं। इसके अलावा 2709 माध्यमिक विद्यालयों में भी यही समस्या बनी हुई है। जिन जिलों में यह समस्या अधिक है, उनमें फिरोजाबाद, आगरा, सुलतानपुर, आजमगढ़, गोण्डा, बहराइच, बुलंदशहर, चित्रकूट, हमीरपुर, एटा, मुजफ्फरनगर, फतेहपुर, लखीमपुर खीरी और मुरादाबाद प्रमुख हैं।

नए नियमों के तहत मान्यता नहीं

स्कूलों को मान्यता देने के नए नियमों के तहत यदि स्कूल भवन या परिसर के ऊपर से बिजली की लाइन गुजरती है, तो ऐसे स्कूलों को मान्यता नहीं दी जा सकती। यह नियम मान्यता के शीर्ष पांच मानकों में से एक है।

पुराने स्कूलों में समस्या बनी हुई

अधिकारियों का कहना है कि जिन स्कूलों के ऊपर से बिजली की लाइनें गुजर रही हैं, वे अधिकतर पुराने स्कूल हैं। इस कारण इन स्कूलों में यह समस्या अभी भी बरकरार है। विभाग ने माना है कि इस समस्या को हल करने में बड़ा बजट खर्च होगा, लेकिन यह बच्चों और शिक्षकों की सुरक्षा के लिए जरूरी है।

यह कदम न केवल विद्युत सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि प्रदेश के स्कूल परिसरों को सुरक्षित और आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल भी है।


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