बिना स्त्री-पुरुष के पैदा हो सकेगा बेबी
लंदन, एजेंसी। ब्रिटेन की ह्यूमन फर्टिलाइजेशन एंड एम्ब्रियोलॉजी अथॉरिटी (एचईएफए) ने यह चौंकाने वाला खुलासा किया है कि जल्द ही बिना स्त्री-पुरुष के बच्चे पैदा करना संभव हो सकता है।
लैब में विकसित मानव अंडे और शुक्राणु
एचईएफए ने जानकारी दी है कि प्रयोगशाला में मानव अंडे और शुक्राणु विकसित करने की तकनीक तेजी से प्रगति कर रही है। यह तकनीक अगले दस वर्षों में वास्तविकता बन सकती है। इसे इन-विट्रो गैमेट्स (आईवीजी) कहा जाता है, जिसमें त्वचा या स्टेम कोशिकाओं को पुनः प्रोग्राम करके अंडे और शुक्राणु का निर्माण किया जाता है।
नई तकनीक से मिलेंगे बड़े लाभ
एचईएफए के सीईओ पीटर थॉम्पसन ने बताया कि इन-विट्रो गैमेट्स से मानव शुक्राणु और अंडे की उपलब्धता को बढ़ाने में मदद मिलेगी। यह तकनीक न केवल बांझपन का इलाज कर सकती है, बल्कि ऐसे लोगों को भी माता-पिता बनने का मौका देगी, जो पारंपरिक तरीके से ऐसा नहीं कर सकते।
अगर यह तकनीक सुरक्षित, प्रभावी और सार्वजनिक रूप से स्वीकार्य साबित होती है, तो यह समाज में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।
ब्रिटेन की संस्था ने किया बड़ा खुलासा
यह शोध ब्रिटेन की ह्यूमन फर्टिलाइजेशन एंड एम्ब्रियोलॉजी अथॉरिटी द्वारा किया जा रहा है। संस्था का कहना है कि आने वाले एक दशक में यह तकनीक पूरी तरह से विकसित हो सकती है। इस तकनीक के माध्यम से आनुवंशिक दोष को भी कम करने की संभावना है।
कैसे काम करती है यह तकनीक?
इन-विट्रो गैमेट्स में त्वचा की कोशिकाओं या स्टेम सेल को प्रयोगशाला में अंडे या शुक्राणु में बदल दिया जाता है। इस प्रक्रिया से प्राप्त अंडे और शुक्राणु को आईवीएफ तकनीक के माध्यम से निषेचित किया जाता है।
यह तकनीक उन लोगों के लिए वरदान साबित हो सकती है, जिनकी प्रजनन क्षमता किसी भी कारण से प्रभावित हुई है।
समाज पर संभावित प्रभाव
यदि यह तकनीक सफल होती है, तो यह समाज में पारंपरिक प्रजनन की अवधारणा को पूरी तरह बदल सकती है। यह उन लोगों के लिए नई उम्मीद लेकर आएगी जो बांझपन या अन्य कारणों से माता-पिता बनने में असमर्थ हैं।
हालांकि, इसके साथ नैतिक और सामाजिक चिंताएं भी जुड़ी होंगी, जिन पर व्यापक बहस की आवश्यकता होगी।