सेनेटरी पैड की मांग पर छात्रा को क्लास से बाहर निकाला









सेनेटरी पैड की मांग पर छात्रा को क्लास से बाहर निकाला

सेनेटरी पैड की मांग पर छात्रा को क्लास से बाहर निकाला

जागरण संवाददाता, बरेली

बरेली के मॉडल टाउन स्थित इंटर कॉलेज में परीक्षा देने पहुंची एक छात्रा को उस समय शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा जब मासिक धर्म (पीरियड) शुरू हो गया और उसे स्कूल में सेनेटरी पैड उपलब्ध नहीं कराया गया। आरोप है कि छात्रा को एक घंटे तक दरवाजे के बाहर खड़ा रखा गया और फिर घर भेज दिया गया।

मामले की पूरी जानकारी

शहर की एक महिला ने इस घटना को लेकर राज्य महिला आयोग, जिला अधिकारी (डीएम), और जिला विद्यालय निरीक्षक को पत्र भेजा है। उन्होंने मांग की है कि भविष्य में ऐसी परिस्थितियों से बचने के लिए सभी स्कूलों में सेनेटरी पैड की व्यवस्था की जाए ताकि कोई अन्य छात्रा ऐसी शर्मिंदगी महसूस न करे।

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छात्रा को कैसे किया गया परेशान?

शुक्रवार को वार्षिक परीक्षा के दौरान छात्रा को अचानक मासिक धर्म शुरू हो गया। जब उसने महिला शिक्षक और प्रधानाचार्य को इस बारे में बताया, तो उन्हें दरवाजे के बाहर खड़ा रहने को कहा गया। छात्रा ने एक घंटे तक इंतजार किया, लेकिन उसे किसी भी प्रकार की सहायता नहीं मिली।

काफी देर बाद जब छात्रा ने दोबारा प्रधानाचार्य से आग्रह किया तो उसे साफ शब्दों में कह दिया गया कि “स्कूल में सेनेटरी पैड उपलब्ध नहीं हैं, घर जाओ।” छात्रा रोते हुए उसी अवस्था में घर पहुंची और इस घटना से मानसिक रूप से आहत हो गई।

स्कूल प्रशासन का पक्ष

इस मामले पर प्रधानाचार्य ने छात्रा के आरोपों को गलत बताया। उनका कहना है कि जब उन्हें छात्रा की तबीयत खराब होने की सूचना मिली, तो उन्होंने महिला शिक्षक को छात्रा को उनके पास लाने के निर्देश दिए थे, लेकिन छात्रा स्कूल से जा चुकी थी।

इस घटना से क्या सीख लेनी चाहिए?

यह घटना बताती है कि स्कूलों में मासिक धर्म से जुड़ी जागरूकता और आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराना कितना महत्वपूर्ण है।

समाधान के लिए आवश्यक कदम:

  • सभी स्कूलों में सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन लगाई जाए।
  • शिक्षकों को मासिक धर्म संबंधित मुद्दों के प्रति संवेदनशील बनाया जाए।
  • छात्राओं को इस विषय पर खुलकर बात करने के लिए प्रेरित किया जाए।
  • आपातकालीन स्वास्थ्य किट हर स्कूल में उपलब्ध होनी चाहिए।

माता-पिता और समाज की भूमिका

माता-पिता और समाज को भी इस विषय पर जागरूक रहना होगा ताकि मासिक धर्म जैसे प्राकृतिक शारीरिक परिवर्तन को एक सामान्य प्रक्रिया के रूप में स्वीकार किया जाए और बेटियों को मानसिक सहयोग मिले।

निष्कर्ष

बरेली की इस घटना ने स्कूलों में मासिक धर्म से जुड़ी सुविधाओं की आवश्यकता को उजागर किया है। सरकार और प्रशासन को इस विषय पर गंभीरता से विचार कर छात्राओं को सुरक्षित और सहज वातावरण प्रदान करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।

इस तरह की खबरों और जागरूकता से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए हमारे साथ बने रहें।


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