हैकरों के निशाने पर स्वास्थ्य और सैन्य क्षेत्र









हैकरों के निशाने पर स्वास्थ्य और सैन्य क्षेत्र

हैकरों के निशाने पर स्वास्थ्य और सैन्य क्षेत्र

नई दिल्ली, एजेंसी। भारतीय स्वास्थ्य, शिक्षा और सैन्य क्षेत्र लगातार साइबर हमलों के निशाने पर हैं। चेक प्वाइंट सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजीज की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, इन क्षेत्रों में साइबर खतरों की तीव्रता बढ़ रही है।

स्वास्थ्य क्षेत्र पर सबसे अधिक हमले

रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को सप्ताह में औसतन 8,614 साइबर हमले झेलने पड़े। इसके बाद शिक्षा/अनुसंधान क्षेत्र में 7,983 और सैन्य/सरकारी क्षेत्र में 4,731 हमलों का सामना किया गया।

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साइबर खतरों का विश्लेषण

कंपनी ने पिछले छह माह के साइबर हमलों का विश्लेषण करते हुए कहा कि भारत में प्रति सप्ताह प्रत्येक संगठन को औसतन 3,291 हमलों का सामना करना पड़ा, जो वैश्विक औसत 1,847 से काफी अधिक है।

जनरेटिव एआई का उपयोग

रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2024 में साइबर हमलों में जनरेटिव एआई के उपयोग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसे गलत सूचना अभियानों, डीपफेक वीडियो, चुनावों को प्रभावित करने और पैसे चुराने जैसे खतरनाक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया गया।

भारत में प्रमुख मैलवेयर

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सबसे अधिक प्रचलित मैलवेयर में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • दो रिमोट एक्सेस ट्रोजन
  • फॉर्मबुक (एक इन्फोस्टीलर)
  • मेज (रैनसमवेयर स्ट्रेन)
  • फेकअपडेट्स (बॉटनेट और डाउनलोडर)

सूचना चुराने वाले हमलों में वृद्धि

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि सूचना चुराने वाले साइबर हमलों में 58% की वृद्धि हुई है। इसके अलावा, मई 2024 में 500 जीबी बायोमेट्रिक डाटा लीक होने की घटना ने साइबर सुरक्षा पर गहरी चिंताएं बढ़ा दी हैं।

वैश्विक साइबर हमलों में वृद्धि

साल-दर-साल 44% की वृद्धि वैश्विक साइबर हमलों में देखी गई है। यह दर्शाता है कि साइबर सुरक्षा उपायों को तेजी से मजबूत करने की आवश्यकता है।

सार: भारतीय स्वास्थ्य, शिक्षा और सैन्य क्षेत्र को साइबर सुरक्षा के दृष्टिकोण से सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता है। जनरेटिव एआई और मैलवेयर के बढ़ते उपयोग से उत्पन्न खतरों का समाधान करना समय की मांग है।


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