प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में गर्म पका पकाया भोजन योजना
योजना का उद्देश्य
मध्यान्ह भोजन योजना का मुख्य उद्देश्य प्राथमिक विद्यालयों में अध्ययनरत गरीबी रेखा के नीचे आने वाले बच्चों को पौष्टिक आहार प्रदान करना है। यह योजना सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के तहत लागू की गई है, जिसमें बच्चों के पोषण स्तर में सुधार लाने और शिक्षा में निरंतरता बनाए रखने की बात की गई है।
लाभार्थी जिलों की सूची
प्रदेश के निम्नलिखित 16 जिलों में योजना को लागू किया गया है:
- बहराइच
- हरदोई
- लखीमपुर खीरी
- संभल
- रायबरेली
- गोण्डा
- फैजाबाद
- बाराबंकी
- मऊ
- इटावा
- सुल्तानपुर
- लखनऊ
- शाहजहाँपुर
भोजन की गुणवत्ता एवं पोषण मानक
योजना के तहत बच्चों को प्रतिदिन 300 कैलोरी ऊर्जा और 8-12 ग्राम प्रोटीन युक्त पका पकाया भोजन प्रदान किया जाएगा। भोजन में स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार दाल, चावल, रोटी, सब्जी आदि सम्मिलित किए जाएंगे।
खाद्यान्न की आपूर्ति एवं प्रबंधन
भारत सरकार द्वारा प्रति विद्यार्थी 3 किलोग्राम खाद्यान्न प्रतिमाह उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अंतर्गत स्थानीय ग्राम पंचायत और महिला स्वयं सहायता समूह भोजन पकाने एवं वितरण की जिम्मेदारी संभालेंगे।
योजना के वित्तीय स्रोत
- 25% – पीएमजीवाई योजना से
- 25% – राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषण
- 50% – केंद्र सरकार से खाद्यान्न आपूर्ति
संरचनात्मक व्यवस्थाएं
ग्रामीण क्षेत्रों में किचन शेड का निर्माण सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना से किया जाएगा। शहरी क्षेत्रों में निर्माण कार्य राष्ट्रीय स्लम विकास कार्यक्रम के तहत होगा।
योजना के सुचारू कार्यान्वयन हेतु गठित समितियां
योजना की सफल क्रियान्वयन के लिए विभिन्न स्तरों पर समितियां गठित की गई हैं:
- ग्राम स्तरीय समिति: ग्राम प्रधान, प्रधानाध्यापक, अभिभावक प्रतिनिधि।
- जनपद स्तरीय समिति: जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, शिक्षा अधिकारी।
- राज्य स्तरीय समिति: शासन के उच्च अधिकारी योजना की समीक्षा करेंगे।
योजना की समीक्षा एवं निगरानी
योजना की मासिक समीक्षा हेतु समिति गठित की गई है। इस समिति के माध्यम से योजना के क्रियान्वयन की निगरानी एवं आवश्यक सुधार किए जाएंगे।
निष्कर्ष
प्रदेश में प्राथमिक विद्यालयों में गर्म पका पकाया भोजन योजना एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे बच्चों को संतुलित आहार के साथ-साथ शिक्षा की निरंतरता भी सुनिश्चित होगी। इस योजना के सफल कार्यान्वयन से बच्चों में संतुलित पोषण की दिशा में महत्वपूर्ण सुधार होगा।