निजी स्कूलों में 89% छात्रों की नहीं बनी अपार आईडी









निजी स्कूलों में 89% छात्रों की नहीं बनी अपार ID

निजी स्कूलों में 89% छात्रों की नहीं बनी अपार आईडी

लखनऊ। शिक्षा मंत्रालय की पहल पर प्रदेश के सरकारी और निजी विद्यालयों में छात्रों की ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (अपार आईडी) बनाई जा रही है। हालांकि, निजी स्कूल इसमें रुचि नहीं दिखा रहे हैं, जिससे 89% छात्रों की आईडी अब तक नहीं बन पाई है।

निजी स्कूलों की उदासीनता

बेसिक शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त 77,816 निजी विद्यालयों में करीब 94 लाख छात्र नामांकित हैं, लेकिन इनमें से केवल 9.6 लाख छात्रों की ही अपार आईडी बनाई गई है। माध्यमिक शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त 25,346 निजी विद्यालयों में नामांकित लगभग 99 लाख छात्रों में से केवल 12 लाख छात्रों की आईडी बनी है। यानी यहां भी 87.62% छात्रों की आईडी बननी बाकी है।

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महानिदेशक ने जताई नाराजगी

महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने निजी स्कूलों की इस उदासीनता पर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने डीआईओएस और बीएसए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इस स्थिति में सुधार लाया जाए। कंचन वर्मा ने 5 फरवरी को इस पर समीक्षा करने की घोषणा की है।

इसके अलावा, उन्होंने छात्रों की अपार आईडी बनाने के लिए गुरुवार और शुक्रवार को विशेष कैंप लगाने के निर्देश भी दिए हैं।

अपार आईडी की महत्ता

अपार आईडी बनाने की पहल छात्रों के शैक्षणिक रिकॉर्ड को एकीकृत और स्थायी बनाने के लिए की गई है। एक बार आईडी बनने के बाद, छात्र इसे अपनी पूरी पढ़ाई के दौरान उपयोग कर सकेंगे।

इस योजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि छात्रों के शैक्षणिक रिकॉर्ड सुरक्षित और डिजिटल रूप से उपलब्ध रहें, जिससे प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाया जा सके।

सरकार की सख्ती

सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में डिजिटल बदलाव लाने के लिए इस योजना को महत्वपूर्ण माना है। कंचन वर्मा ने इस पर तेजी लाने के लिए स्पष्ट रूप से कहा है कि सभी संबंधित अधिकारी समय सीमा के भीतर इस कार्य को पूरा करें।

इस पहल से छात्रों को एक स्थायी पहचान मिलेगी, लेकिन निजी स्कूलों की उदासीनता से इसे लागू करने में बड़ी बाधा आ रही है। सरकार ने इसे प्राथमिकता के आधार पर हल करने के निर्देश दिए हैं।


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