शिक्षा की गुणवत्ता में आया सकारात्मक बदलावः राष्ट्रपति मुर्मु
नई दिल्ली। 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि पिछले दशक में भारत की शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक बदलाव देखने को मिला है। उन्होंने शिक्षा, ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ और सांस्कृतिक विरासत पर अपने विचार रखे।
शिक्षा में सुधार और डिजिटल समावेशन
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए पिछले दशक में बुनियादी ढांचे के विकास और डिजिटल समावेशन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने से छात्रों के प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
उन्होंने बताया कि महिला शिक्षकों ने इस बदलाव में प्रमुख भूमिका निभाई है, क्योंकि शिक्षक बनने वालों में 60 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं। साथ ही, व्यावसायिक और कौशल शिक्षा के विस्तार को उन्होंने सराहनीय कदम बताया।
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर जोर
राष्ट्रपति ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की सरकार की पहल को दूरदर्शी और साहसपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि इस पहल से सुशासन को नए आयाम दिए जा सकते हैं। इससे शासन में निरंतरता आएगी और वित्तीय संसाधनों का बेहतर उपयोग संभव होगा।
सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण
राष्ट्रपति ने महाकुम्भ का जिक्र करते हुए इसे भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की प्रभावी अभिव्यक्ति बताया। उन्होंने कहा कि हमारी परंपराओं और रीति-रिवाजों को संरक्षित करने और उनमें नई ऊर्जा लाने के लिए अनेक उत्साहजनक प्रयास हो रहे हैं।
औपनिवेशिक मानसिकता में बदलाव
राष्ट्रपति ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद भी औपनिवेशिक मानसिकता के अवशेष लंबे समय तक विद्यमान रहे। लेकिन हाल के वर्षों में इन्हें बदलने के ठोस प्रयास किए गए हैं।
भारतीय न्याय प्रणाली में बदलाव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को नए कानूनों के साथ प्रतिस्थापित करने का निर्णय उल्लेखनीय है।
उच्च आर्थिक विकास दर
राष्ट्रपति ने भारत की लगातार बढ़ती आर्थिक विकास दर की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह विकास दर भारत को एक मजबूत और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में स्थापित कर रही है।