देशभर में कुत्तों के काटने से हर वर्ष 57 हजार लोगों ने गंवाई जान









देशभर में कुत्तों के काटने से हर वर्ष 57 हजार लोगों ने गंवाई जान

देशभर में कुत्तों के काटने से हर वर्ष 57 हजार लोगों ने गंवाई जान

नई दिल्ली। जानवरों के काटने के हर चार मामलों में से तीन में कुत्तों का हाथ होता है। यह समस्या न केवल गंभीर स्वास्थ्य खतरे पैदा करती है, बल्कि हर साल हजारों जानें भी लेती है।

रेबीज से हर साल 57,000 से अधिक मौतें

द लैंसेट इन्फेक्शियस डिजीज जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल रेबीज संक्रमण के कारण 57,000 से अधिक लोग अपनी जान गंवाते हैं। यह संख्या भारत में जानवरों के काटने से होने वाले खतरों की गंभीरता को दर्शाती है।

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रेबीज एक घातक वायरल संक्रमण है, जो संक्रमित कुत्ते या अन्य जानवर के काटने से फैलता है। अगर समय पर इलाज न मिले, तो यह लगभग हमेशा घातक होता है।

आईसीएमआर का व्यापक सर्वे

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने मार्च 2022 से अगस्त 2023 के बीच देशभर के 15 राज्यों के 60 जिलों में एक सर्वे किया। इस सर्वे में 78,800 से अधिक परिवारों से बात की गई, जिसमें 3,37,808 लोगों को शामिल किया गया।

सर्वे में पशुओं के काटने की घटनाओं, एंटी रेबीज वैक्सीन की उपलब्धता और पशु काटने से होने वाली मौतों के बारे में सवाल पूछे गए। परिणाम बताते हैं कि कुत्तों के काटने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।

रेबीज रोकथाम के उपाय

रेबीज जैसी गंभीर बीमारी को रोकने के लिए एंटी रेबीज वैक्सीन एक महत्वपूर्ण उपाय है। काटने के तुरंत बाद सही कदम उठाना और चिकित्सा सहायता लेना आवश्यक है।

  • कुत्ते या किसी अन्य जानवर के काटने पर तुरंत प्रभावित क्षेत्र को साबुन और पानी से धोएं।
  • निकटतम स्वास्थ्य केंद्र जाकर एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाएं।
  • जानवरों के टीकाकरण पर ध्यान दें, ताकि रेबीज का खतरा कम किया जा सके।

रेबीज के खिलाफ जागरूकता की जरूरत

रेबीज से बचाव के लिए जागरूकता फैलाना बेहद जरूरी है। सरकार और स्वास्थ्य संगठनों को ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में रेबीज रोकथाम कार्यक्रम चलाने चाहिए।

सर्वे में यह भी सामने आया कि कई लोग एंटी रेबीज वैक्सीन की महत्ता को नहीं समझते, जिससे बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। जागरूकता अभियानों के जरिए लोगों को सही जानकारी देना अनिवार्य है।

निष्कर्ष: भारत में कुत्तों के काटने और रेबीज संक्रमण एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती है। हर साल हजारों लोगों की मौतें इस समस्या की गंभीरता को उजागर करती हैं। जागरूकता, समय पर वैक्सीन और जानवरों के टीकाकरण के जरिए इस खतरे को कम किया जा सकता है।


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