मिड डे मील से भरता था बच्चों का पेट..रविवार को छुट्टी थी इसलिए बच्चे भूखे ही रह गए। बच्चों को भूख से तड़पता देख मां ने जान दे दी। मिड डे मील के लिए मिलने वाले खाद्यान्न ,धनराशि से हम मास्टर लोग भले ही परेशान हो जाते हों। और कई बार मन भी होता है कि यह मिड डे मील का झंझट बंद हो जाना चाहिए।
लेकिन कभी-कभी मिड डे मील इन गरीब परिवारों के लिए वरदान जैसा लगता है।एक मां ने इसलिए जहर खा लिया क्योंकि परिवार में 8 सदस्य थे और आटा केवल 6 रोटियां बनाने भर का था बच्चों को जब टुकड़ों में रोटियां बांटी गईं तो मां यह दुख नहीं सह पाई और उसने जान दे दी।
आर्थिक तंगी से परेशान विधवा ने की आत्महत्या
एटा, उत्तर प्रदेश: एटा जिले के नगला पवल गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां 35 वर्षीय विधवा सुमन ने आर्थिक तंगी से परेशान होकर कीटनाशक खाकर अपनी जान दे दी। सुमन अपने छह बच्चों और वृद्ध सास की जिम्मेदारी संभाल रही थी।
एक मां की संघर्ष भरी जिंदगी
पति की दो साल पहले बीमारी के कारण मृत्यु के बाद सुमन पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी आ गई थी। वह दूसरों के खेतों में मजदूरी कर जैसे-तैसे घर चला रही थी। परिवार के भरण-पोषण के लिए वे मिड-डे मील पर निर्भर थे, जो स्कूल में बच्चों को मिलता था।
हालांकि, रविवार को स्कूल बंद होने के कारण बच्चों को दोपहर का भोजन नहीं मिला। घर में मात्र थोड़े से आटे से छह रोटियां बनीं, जिन्हें आठ सदस्यों में बांटना पड़ा। यह स्थिति सुमन के लिए असहनीय हो गई और उसने आत्महत्या का कदम उठा लिया।
मां की आखिरी बात
सुमन की बड़ी बेटी के अनुसार, आत्महत्या से पहले मां ने उसे बुलाकर कहा, “अब तुम सबसे बड़ी हो, परिवार की जिम्मेदारी तुम्हें संभालनी होगी।” यह कहकर उन्होंने कीटनाशक पी लिया।
सरकारी मदद और समुदाय की प्रतिक्रिया
गांववालों और रिश्तेदारों की मदद से सुमन का अंतिम संस्कार किया गया। प्रशासन ने कहा है कि योग्य योजनाओं के तहत परिवार को सहायता दी जाएगी।
यह दुखद घटना यह दर्शाती है कि आर्थिक तंगी और सामाजिक सुरक्षा की कमी किस हद तक किसी को तोड़ सकती है। सरकार से अपेक्षा है कि वह ऐसे जरूरतमंद परिवारों को आर्थिक सहायता और रोजगार के अवसर प्रदान करे।
