**मिड डे मील घोटाले में कोर्ट का बड़ा फैसला: 7 दोषियों को 10 साल की सजा**
**अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर-2 अनिल कुमार शुक्ला** ने 7 आरोपियों को दोषी करार देते हुए उन्हें **10-10 वर्ष के कठोर कारावास** की सजा सुनाई।
इसके साथ ही अदालत ने **5,40,000 रुपये का जुर्माना** भी लगाया।
**घोटाले का खुलासा और मास्टरमाइंड**
यह घोटाला करीब **4.5 करोड़ रुपये** का था, जिसमें मास्टरमाइंड **राजीव शर्मा**, जो **मध्यान्ह भोजन के जिला समन्वयक** के पद पर तैनात था, ने अपने साथियों के साथ मिलकर धनराशि का गबन किया।
उन्होंने **अभिलेखों में फर्जीवाड़ा कर कोषागार से धनराशि अपने खातों में ट्रांसफर** कर ली। इस मामले ने पूरे यूपी में हड़कंप मचा दिया था।
**शुरुआती जांच और चार्जशीट**
29 दिसंबर 2018 को तत्कालीन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी **वीपी सिंह** ने नगर कोतवाली में इस घोटाले की तहरीर दी।
जांच के दौरान **लखनऊ और बाराबंकी के सात अभियुक्तों** के नाम सामने आए। अभियुक्तों पर **धारा 419, 420, 467, 468, 471, 409, 413 और 120बी** के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।
न्यायालय में अभियोजन पक्ष ने ठोस गवाह और सबूत पेश किए, जिसके आधार पर आरोप सिद्ध हुए।
**दोषियों की सजा और जुर्माना**
अभियुक्त | सजा | जुर्माना |
---|---|---|
राजीव शर्मा | 10 वर्ष कारावास | 1,10,000 रुपये |
रहीमुद्दीन | 10 वर्ष कारावास | 1,10,000 रुपये |
रघुराज | 10 वर्ष कारावास | 30,000 रुपये |
साधना | 10 वर्ष कारावास | 30,000 रुपये |
रोज सिद्दीकी | 10 वर्ष कारावास | 30,000 रुपये |
अखिलेश कुमार | 10 वर्ष कारावास | 1,35,000 रुपये |
असगर मेहंदी | 10 वर्ष कारावास | 95,000 रुपये |
**फैसले का महत्व**
इस घोटाले में अदालत का यह फैसला **अन्य अपराधियों के लिए चेतावनी** का कार्य करेगा।
बच्चों के **भोजन के लिए आए सरकारी धन** की हेराफेरी करने वालों को कड़ी सजा देकर न्यायपालिका ने अपनी प्रतिबद्धता साबित की है।
यह फैसला प्रशासनिक प्रणाली में ईमानदारी और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।