यूपी बोर्ड टेबुलेशन रिकॉर्ड घोटाला: दोषी कर्मचारियों पर होगी कार्रवाई
यूपी बोर्ड में टेबुलेशन रिकॉर्ड में छेड़छाड़ के दोषी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है। इस मामले की जांच आठ साल पहले शुरू हुई थी, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के चलते मामला लंबित रहा।
घोटाले की पृष्ठभूमि
यूपी बोर्ड की हाईस्कूल परीक्षा 1999 और इंटरमीडिएट परीक्षा 2001 के दौरान 22 अभ्यर्थियों के अंकों में हेरफेर कर उन्हें एलटी ग्रेड शिक्षक की नौकरी दिलाने का घोटाला सामने आया था। उस समय भर्ती प्रक्रिया में किसी प्रकार की परीक्षा नहीं होती थी, बल्कि हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के अंकों के आधार पर मेरिट तैयार की जाती थी।
कैसे हुआ खुलासा?
वर्ष 2016 में जब सत्यापन किया गया, तो बोर्ड के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से अंकों में हेरफेर का पता चला। प्रारंभिक जांच में दोषी कर्मचारियों की पहचान कर ली गई थी, लेकिन फाइल लंबे समय तक लंबित रही।
जांच की स्थिति और कार्रवाई
यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह के कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने मामले को गंभीरता से लिया और माध्यमिक शिक्षा निदेशक को रिपोर्ट भेजी। निदेशक महेंद्र देव के आदेश पर 10 अगस्त 2024 को पांच दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई।
दोषी कर्मचारियों की सूची:
- प्रदीप कुमार सिंह (सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी)
- राजेश कुमार (सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी)
- प्रमोद कुमार (सेवानिवृत्त प्रधान सहायक)
- आत्म प्रकाश (प्रशासनिक अधिकारी)
- राकेश कुमार केसरवानी (कनिष्ठ सहायक)
संभावित कार्रवाई
प्रशासनिक अधिकारी आत्म प्रकाश और कनिष्ठ सहायक राकेश कुमार केसरवानी के खिलाफ निलंबन से लेकर बर्खास्तगी तक की कार्रवाई की जा सकती है। जबकि सेवानिवृत्त हो चुके अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को संस्तुति भेजी जाएगी।
निष्कर्ष
अगर इस मामले में पहले ही कार्रवाई हो जाती, तो दोषियों पर आठ साल पहले शिकंजा कस जाता। अब सचिव द्वारा इस पर गंभीर संज्ञान लेने के बाद यह मामला तेजी से आगे बढ़ रहा है, और जल्द ही दोषियों पर उचित कानूनी कार्रवाई होने की उम्मीद है।
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