8वें वेतन आयोग और भारत में वेतन आयोगों का इतिहास
1 जनवरी 2026 से 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होंगी। यह लेख भारत के अब तक के वेतन आयोगों और उनकी सिफारिशों पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है।
8वें वेतन आयोग: मुख्य बिंदु
- न्यूनतम वेतन ₹18,000 से बढ़कर ₹46,000 हो जाएगा।
- पेंशन में 34% की वृद्धि होगी।
- 1.15 करोड़ केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनर्स को लाभ होगा।
- महंगाई भत्ते के आधार पर वेतन में वृद्धि का फिटमेंट फैक्टर 2.57 से बढ़कर 2.90 तक हो सकता है।
भारत में अब तक के वेतन आयोग
स्वतंत्रता के बाद से अब तक सात वेतन आयोग गठित किए गए हैं। यहां उनकी सिफारिशों और प्रभाव का विवरण दिया गया है:
वेतन आयोग | न्यूनतम सैलरी | वृद्धि (%) | लाभार्थी कर्मचारी |
---|---|---|---|
1. 1947 | ₹255 | 15% | 15 लाख |
2. 1959 | ₹80 | 14% | 25 लाख |
3. 1973 | ₹185 | 19% | 30 लाख |
4. 1986 | ₹2,750 | 30% | 35 लाख |
5. 1997 | ₹2,550 | 40% | 30 लाख |
6. 2008 | ₹7,000 | 16-22% | 60 लाख |
7. 2016 | ₹18,000 | 30-40% | 1 करोड़ |
8वें वेतन आयोग का प्रभाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों का आर्थिक सशक्तिकरण देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेगा। 8वें वेतन आयोग के प्रभाव:
- इकोनॉमी में ₹2 लाख करोड़ की खपत बढ़ने की संभावना।
- वाहन और होम लोन जैसे क्षेत्रों में 10-15% की वृद्धि।
- निजी क्षेत्र में भी 5-8% तक वेतन वृद्धि होने की संभावना।
7वें वेतन आयोग की बड़ी सिफारिशें
7वें वेतन आयोग में न्यूनतम वेतन ₹18,000 और अधिकतम ₹2.5 लाख निर्धारित किया गया था। पेंशन में 23.66% की वृद्धि हुई थी।
“सरकारी कर्मचारी विकसित भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी वित्तीय स्थिति मजबूत करने से खपत और अर्थव्यवस्था को लाभ होता है।”
– नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री