आज से खुलेंगे स्कूल, बाघ लेगा परीक्षा
रिपोर्टर: संवाद न्यूज एजेंसी | स्थान: लखनऊ
41 दिनों से दहशत में 60 गांव
रहमान खेड़ा और उसके आसपास के 60 गांवों में 41 दिनों से
बाघ की मौजूदगी के कारण ग्रामीणों में दहशत का माहौल है।
बुधवार से स्कूल खुलने वाले हैं, जिससे बच्चों की
सुरक्षा को लेकर ग्रामीणों की चिंता और बढ़ गई है।
वन विभाग के प्रयासों के बावजूद बाघ अब तक पकड़ में नहीं आया है,
और इस चुनौती ने विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
बाघ की लोकेशन और वन विभाग की रणनीति
मंगलवार को बाघ की लोकेशन मीठेनगर और उलरापुर
गांव के पास मिली। दुगौली और कटौली
गांव में उसके नए पगचिह्न भी देखे गए।
वन विभाग ने बाघ को पकड़ने के लिए जाल लगाया है
और ट्रैंकुलाइज करने की योजना बनाई है।
हालांकि, अब तक इन प्रयासों का कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है।
ग्रामीणों की बढ़ती चिंताएं
ग्रामीणों का कहना है कि तालाब और नाले
के किनारे निगरानी बढ़ाई जानी चाहिए, क्योंकि पानी पीने के लिए
बाघ को इन स्थानों पर आना पड़ता है।
ग्रामीण अपने बच्चों की सुरक्षा और उनकी पढ़ाई को लेकर बेहद चिंतित हैं।
बाघ की दहशत के चलते बच्चे घरों में कैद हो गए हैं,
जिससे उनकी मानसिक स्थिति पर भी असर पड़ रहा है।
टीम में अनुभवहीनता बनी समस्या
ऑपरेशन टाइगर के नोडल अधिकारी के रूप में एक कम अनुभवी अधिकारी
को नियुक्त करने पर ग्रामीण सवाल उठा रहे हैं।
80 सदस्यीय टीम का नेतृत्व कर रहे नोडल अधिकारी के
अनुभव की कमी के कारण अभियान में सफलता नहीं मिल रही है।
टीम में मनमुटाव और असमंजस की स्थिति भी इस असफलता का कारण बन रही है।
पक्षी और लंगूर दे रहे संकेत
विशेषज्ञों का कहना है कि पक्षी और लंगूर बाघ की मौजूदगी का
संकेत दे सकते हैं। जहां बाघ चहलकदमी करता है,
वहां पक्षी तेज आवाज निकालते हैं और लंगूर चीखते हैं।
वन विभाग इन संकेतों का सहारा लेकर बाघ को ट्रैक करने की कोशिश कर रहा है,
लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली है।
बाघ ने अब तक किए 13 शिकार
बाघ अब तक 13 शिकार कर चुका है,
जिससे ग्रामीणों में डर और बढ़ गया है।
रहमान खेड़ा के आसपास के 20 किमी के क्षेत्र में
बाघ की सक्रियता बनी हुई है।
विशेषज्ञों के अनुसार, बाघ को पानी,
जंगल, और शिकार की जरूरत होती है,
जो इस क्षेत्र में आसानी से उपलब्ध हैं।