मुफ्त घोषणाओं की हकीकत बताने को चुनाव आयोग जारी करेगा राज्यों की वित्तीय सेहत
चुनाव आयोग की नई पहल: राज्यों की वित्तीय स्थिति का ब्यौरा जनता के सामने लाने की तैयारी।
राज्यों की वित्तीय सेहत का खुलासा
चुनाव आयोग अब जनता को मुफ्त घोषणाओं की हकीकत से अवगत कराने के लिए राज्यों की वित्तीय स्थिति का ब्यौरा जारी करने की तैयारी कर रहा है। इसके तहत राज्यों से उनकी आय, खर्च और कर्ज का विवरण मांगा जाएगा। आयोग का मानना है कि इस पहल से जनता को यह समझने में मदद मिलेगी कि राजनीतिक दलों द्वारा किए गए वादे कितने व्यावहारिक हैं और उनकी पूर्ति कैसे संभव होगी।
मुफ्त घोषणाओं से बिगड़ी राज्यों की आर्थिक स्थिति
चुनाव आयोग के अनुसार, कई राज्यों में मुफ्त घोषणाओं के कारण वित्तीय स्थिति बेहद खराब हो गई है। इन घोषणाओं के कारण कुछ राज्यों को अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन देने में भी कठिनाई हो रही है। आयोग का यह कदम राज्यों की वित्तीय सेहत को सुधारने और जनता को जागरूक करने की दिशा में उठाया गया है।
तेलंगाना की वित्तीय स्थिति चिंताजनक
तेलंगाना में मुफ्त घोषणाओं के कारण राज्य पर बैंकों का 20,800 करोड़ रुपये का बकाया है। इससे बैंकों के पास नकदी की कमी हो गई है और कई इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट रुकने की कगार पर हैं। तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने 18,000 करोड़ रुपये की लोन माफी की घोषणा की थी, जिससे राज्य का राजकोषीय घाटा बढ़ने की संभावना है।
लोन माफी की घोषणाएं और उनका प्रभाव
तेलंगाना की बीआरएस सरकार और कांग्रेस सरकार दोनों ने किसानों के लोन माफी के लिए बड़े पैमाने पर घोषणाएं की हैं। हालांकि, इन घोषणाओं का अधिकांश हिस्सा अभी तक पूरा नहीं हुआ है। वर्ष 2014 में बीआरएस सरकार ने 17,000 करोड़ रुपये की लोन माफी की योजना बनाई थी, लेकिन वित्त वर्ष 2021 से अब तक बैंकों का 2400 करोड़ रुपये बकाया है।
चुनाव आयोग का कड़ा रुख
चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने स्पष्ट किया है कि देश के भविष्य को मुफ्त घोषणाओं की भेंट नहीं चढ़ने दिया जाएगा। आयोग ने पहले भी राजनीतिक दलों से घोषणाओं को लागू करने का रोडमैप मांगा था, लेकिन कोई भी दल इसके लिए तैयार नहीं हुआ। अब आयोग जनता को राज्यों की वित्तीय स्थिति से अवगत कराकर जागरूक करने की कोशिश कर रहा है।