पुरोहितों की बढ़ी मांग, 13 और विद्यालयों में शुरू होगा डिप्लोमा कोर्स
पढ़ाई के साथ रोजगार का सुनहरा अवसर
खास बात यह है कि इन कोर्सों में प्रवेश के लिए सीटों की कोई बाध्यता नहीं रखी गई है, जिससे ज्यादा से ज्यादा युवा लाभान्वित हो सकें।
पारंपरिक पठन-पाठन के साथ रोजगारपरक पहल
संस्कृत विद्यालयों में लंबे समय से पारंपरिक पद्धति से पढ़ाई हो रही थी। इसे आधुनिक जरूरतों और रोजगार से जोड़ने के लिए उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद ने 2024-25 सत्र में चार रोजगारपरक डिप्लोमा कोर्सों की शुरुआत की।
पहले ही वर्ष में 15 विद्यालयों ने इन कोर्सों के लिए संबद्धता प्राप्त की। इनमें पौरोहित्य (कर्मकांड) को सबसे अधिक पसंद किया गया।
पौरोहित्य और योग विज्ञान कोर्स की बढ़ती लोकप्रियता
पिछले सत्र में पौरोहित्य कोर्स में 271 छात्रों ने दाखिला लिया, जिनमें 268 छात्र और 3 छात्राएं शामिल थीं। इसके बाद योग विज्ञान को दूसरा स्थान मिला, जिसमें 65 छात्रों ने दाखिला लिया। इनमें 38 छात्र और 27 छात्राएं शामिल हैं।
युवाओं की रुचि को ध्यान में रखते हुए इन कोर्सों के माध्यम से स्वरोजगार और संस्थागत रोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं।
नए सत्र में बढ़ेगी पहुंच
युवाओं की बढ़ती रुचि को देखते हुए 13 और संस्कृत विद्यालयों ने इन कोर्सों को शुरू करने का निर्णय लिया है। अगले सत्र में यह पहल और व्यापक रूप लेगी, जिससे रोजगारपरक शिक्षा को नए आयाम मिलेंगे।
इन कोर्सों की लोकप्रियता से यह स्पष्ट है कि पारंपरिक शिक्षा को आधुनिक और रोजगारपरक बनाना समय की मांग है।
