ISRO का स्पेडेक्स: इतिहास रचने से महज एक कदम दूर
नई दिल्ली, एजेंसी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (SPADEX) मिशन के जरिए इतिहास रचने की दहलीज पर है।
क्या है स्पेडेक्स मिशन?
SPADEX (Space Docking Experiment) ISRO का महत्वाकांक्षी मिशन है, जिसका उद्देश्य छोटे अंतरिक्ष यानों का उपयोग कर अंतरिक्ष में डॉकिंग प्रदर्शन करना है। डॉकिंग का मतलब है, स्पेस में दो उपग्रहों को जोड़ना, और अनडॉकिंग का मतलब उन्हें अलग करना।
कैसे बढ़ रहा है मिशन?
- 30 दिसंबर: श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से PSLV-C60 रॉकेट द्वारा SDX-01 (चेजर) और SDX-02 (टारगेट) उपग्रह लॉन्च किए गए।
- ये दोनों 220 किलोग्राम वजनी उपग्रह 476 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किए गए।
- 15 मीटर की दूरी: दोनों उपग्रहों को 15 मीटर तक लाने का परीक्षण सफल रहा।
- 3 मीटर की दूरी: इसके बाद इन्हें सुरक्षित रूप से 3 मीटर तक करीब लाया गया।
मिशन की मौजूदा स्थिति
ISRO ने बताया कि उपग्रह अब 50 फीट की दूरी पर हैं और 10 मिमी/सेकंड की गति से करीब आ रहे हैं। इस प्रक्रिया के डेटा का विस्तृत विश्लेषण किया जा रहा है, जिसके बाद डॉकिंग की अंतिम प्रक्रिया को अंजाम दिया जाएगा।
SPADEX की सफलता का महत्व
SPADEX मिशन की सफलता से भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा। यह तकनीक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और भविष्य में चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने के लिए मील का पत्थर साबित होगी।
भविष्य की संभावनाएं
SPADEX मिशन न केवल ISRO की तकनीकी क्षमता को प्रदर्शित करेगा, बल्कि भारत के लिए अंतरिक्ष अन्वेषण के नए दरवाजे खोलेगा। यह मिशन भारतीय स्पेस इंडस्ट्री के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है और वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को और मजबूत करेगा।
