पहले घने जंगलों में जाएंगे, फिर सामान्य तैनाती पाएंगे
वन विभाग के अधिकारियों के लिए नए नियम, आरक्षित क्षेत्रों में तैनाती अनिवार्य
आरक्षित क्षेत्रों में तैनाती को अनिवार्य बनाने की तैयारी
वन विभाग के अधिकारियों में यह देखा गया है कि कई नए अधिकारी आरक्षित वन क्षेत्रों में तैनाती से बचने की कोशिश करते हैं। इसके विपरीत, पौधरोपण, पेड़ों की कटाई की अनुमति और आरा मशीनों के संचालन से जुड़े सामाजिक वानिकी जैसे सामान्य जिलों में तैनाती के लिए सिफारिशें लगाई जाती हैं।
इससे आरक्षित वन क्षेत्रों में काम कर रहे अधिकारियों में असंतोष बढ़ रहा है। इस समस्या को दूर करने और विभागीय कार्यप्रणाली को सुचारू बनाने के लिए नई नियमावली पर विचार किया जा रहा है।
तीन साल की घने जंगलों में तैनाती अनिवार्य
नई नियमावली के तहत हर अधिकारी को पीलीभीत टाइगर रिजर्व, दुधवा, कतर्नियाघाट, अमानगढ़, और सोहागीबरवा जैसे कठिन क्षेत्रों में न्यूनतम तीन साल तक तैनात रहना अनिवार्य होगा। यह नियम रेंजर से लेकर प्रभागीय वनाधिकारी (डीएफओ) तक सभी पर लागू होगा।
वन निगम में तैनाती की अवधि भी शामिल
वन विभागाध्यक्ष सुनील चौधरी ने कहा कि वन निगम में तैनाती की अवधि को भी इस श्रेणी में शामिल किया जाएगा। यह सुनिश्चित करेगा कि अधिकारी घने जंगलों और कठिन परिस्थितियों में अपनी सेवाएं देने के बाद ही सामाजिक वानिकी के क्षेत्रों में तैनात हों।
आरक्षित क्षेत्रों में काम का अनुभव अनिवार्य
इस कदम का उद्देश्य आरक्षित क्षेत्रों में तैनाती से बचने की प्रवृत्ति को समाप्त करना है। कठिन क्षेत्रों में काम करने का अनुभव अधिकारियों को मजबूत नेतृत्व और बेहतर प्रबंधन कौशल प्रदान करेगा।