हाई कोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग को सेवानिवृत्त शिक्षकों की ग्रेच्युटी भुगतान का आदेश दिया









हाई कोर्ट ने सेवानिवृत्त शिक्षकों की ग्रेच्युटी रोकने पर जताई नाराजगी

हाई कोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग को सेवानिवृत्त शिक्षकों की ग्रेच्युटी भुगतान का आदेश दिया

62 वर्ष में सेवानिवृत्त शिक्षकों को ग्रेच्युटी से वंचित करने का मामला

बेसिक शिक्षा विभाग ने 62 वर्ष की उम्र में सेवानिवृत्त हुए शिक्षकों को ग्रेच्युटी का लाभ देने से इनकार कर दिया था। विभाग का नियम था कि केवल 60 वर्ष की आयु तक सेवा देने वाले शिक्षकों को ही यह लाभ मिलेगा। इस नियम के विरोध में सैयद मोहम्मद असलम और कोरपणात सिंह ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की।

हाई कोर्ट का निर्णय

हाई कोर्ट ने 8 जनवरी 2024 को मामले पर निर्णय देते हुए, बेसिक शिक्षा विभाग को आदेश दिया कि:

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  • सैयद मोहम्मद असलम को 10 लाख रुपये और कोरपणात सिंह को 8.5 लाख रुपये की ग्रेच्युटी एक सप्ताह के भीतर कोर्ट में जमा की जाए।
  • डीएम और बीएसए अधिकारियों के प्रति नाराजगी जताई और भुगतान में देरी के लिए जिम्मेदार ठहराया।

मामले की पृष्ठभूमि

सैयद मोहम्मद असलम और कोरपणात सिंह वर्ष 2017 में 62 वर्ष की उम्र में सेवा निवृत्त हुए थे। उन्होंने ग्रेच्युटी और प्रोविडेंट फंड के लिए बीएसए कार्यालय में दावा किया, लेकिन विभाग ने इसे खारिज कर दिया।

शिक्षकों ने वर्ष 2019 में सहायक श्रम आयुक्त न्यायालय में याचिका दायर की, जहां 30 सितंबर 2020 को उनके पक्ष में निर्णय दिया गया। बावजूद इसके, विभाग ने भुगतान नहीं किया और इस निर्णय के खिलाफ अपील की, जिसे भी खारिज कर दिया गया।

डीएम और एसडीएम के हस्तक्षेप

ग्रेच्युटी भुगतान न होने पर, शिक्षकों ने उप श्रम आयुक्त से अपील की। न्यायालय ने 5 दिसंबर 2023 को बीएसए कार्यालय को कारण बताओ नोटिस जारी किया। इसके बाद 18 मार्च 2023 को डीएम ने विभाग के खाते को सीज करने और वसूली के निर्देश दिए।

शिक्षकों के पक्ष में कोर्ट का समर्थन

हाई कोर्ट ने शिक्षकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए विभाग को ग्रेच्युटी के ब्याज सहित भुगतान का आदेश दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि विभाग की लापरवाही अस्वीकार्य है और इसे तत्काल सुधारा जाना चाहिए।

लेखक: ब्यूरो

टैग्स: बेसिक शिक्षा, हाई कोर्ट निर्णय, ग्रेच्युटी विवाद, सेवानिवृत्त शिक्षक, शिक्षा विभाग


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